What is Derivatives? – डेरिवेटिव क्या है?
What is Derivatives? – डेरिवेटिव क्या है? विनिवेश उद्योग मे ‘ डेरिवेटिव एक कॉन्ट्रैक्ट की तरह है, जिसका मूल्य एक या अधिक अंतर्निहित पर संपत्ति के आधार पर तय की जाती है। इसके अंतर्गत परिसंपत्ति मुद्रा, स्टॉक, वस्तु या प्रतिभूति जिससे हमें ब्याज मिलता है हो सकता है।
कभी-कभी हम डेरिवेटिव का प्रयोग इस तरह के क्षेत्रों में भी करते हैं जैसे कि विदेशी मुद्रा, इक्विटी, बिजली, मौसम, तापमान, आदि के रूप में कारोबार के लिए उपयोग किया जाता है उदाहरण के लिए, ऊर्जा बाजार के लिए डेरिवेटिव को ऊर्जा डेरिवेटिव कहा जाता है। आज हम अपने इस लेख में जाने दीजिए डेरिवेटिव क्या होता है? What is Derivatives? – डेरिवेटिव क्या है? इसके साथ ही डेरिवेटिव के कितने प्रकार होते हैं इसके बारे में भी जानकारी लेंगे।
What is Derivatives? – डेरिवेटिव क्या है?
शेयर बाजार या स्टॉक मार्केट में निवेशक जोखिम से बचने के लिए डेरिवेटिव और फ्यूचर जैसे वित्तीय साधनों का उपयोग करते हैं। यह जोखिम वित्तीय देनदारी, कमोडिटी मूल्य में उतार-चढ़ाव और भी बहुत सारे कारक हो सकते हैं। अगर डेरिवेटिव को परिभाषित किया जाए तो “Derivative एक ऐसा उत्पाद है, जिसे आप शेयर बाजार में एक इंस्ट्रूमेंट और कॉन्ट्रैक्ट की तरह देख सकते हैं।” जैसे कि फ्यूचर एंड ऑप्शन, जिससे की प्राइस अंडरलाइनिंग ऐसेट यानी स्टॉक या फिर इंडेक्स से तय किया जाता है।
उदाहरण – निफ़्टी फ्यूचर एक डेरिवेटिव है। जिसका बाजार मूल्य भाव निफ़्टी के भाव से डेरिवेटिव एक्सचेंज क्या है? निकाला जाता है या आप कह सकते हैं derive किया जाता है।
अगर अभी भी आपको डेरिवेटिव क्या होता है? यह समझ में नहीं आया है तो हम चलिए इसे कुछ उदाहरण द्वारा तो समझते हैं।
उदाहरण 1. – सोने की रिंग और ज्वेलरी सोने से बनती है। कच्चे सोने का भाव उसके बाजार के भाव पर तय होता है। और जो ज्वेलरी और रिंग हमें बाजार से खरीदते हैं उसका भाव अलग से होता है।
इस उदाहरण से आप थोड़ा समझ गए होंगे कि, सोने का ज्वेलरी जो कच्चे सोने से बना होता है उसका बाजार भाव अलग होता है। और ज्वेलरी की कीमत बाजार पर अलग होती है। यहां पर ज्वेलरी की कीमत कच्चे सोने के बाजार भाव पर निर्भर करता है। इसी के बाद ज्वेलरी की कीमत कच्चे सोने से derive होती है। यही वजह है कि अच्छे सोने की अगर कीमत घटती है तो सोने की ज्वेलरी की कीमत भी घटेगी। इस तरह से देखा जाए तो कच्चा सोना एक डेरिवेटिव है सोने के ज्वेलरी का।
इस उदाहरण के जरिए हमने आप लोगों को यह समझाने की कोशिश की है कि डेरिवेटिव का, यहां पर सोना underlying asset होता है, सोने के रिंग और जेवर का।
इस कांसेप्ट का, शेयर बाजार पर इस्तेमाल किया जाता है। जिससे कि निवेशक सही डेरिवेटिव पर अपना पैसा लगाकर के कम जोखिम उठाकर के अच्छी लाभ कमा सकें। क्योंकि स्टॉक मार्केट में दो सिग्मेंट होते हैं।
- Cash segment ( कैस सिग्मेंट)
- Derivative segment ( डेरिवेटिव सिग्मेंट)
आगे बढ़ने से पहले हम यह दोनों सेगमेंट के बारे में थोड़ी बहुत जानकारी ले लेते हैं ताकि आप लोगों को यह अच्छी तरह से समझ में आ जाएगी डेरिवेटिव क्या होता है? What is Derivatives? – डेरिवेटिव क्या है?
Cash segment ( कैस सिग्मेंट) –
एक नकद बाजार एक ऐसा बाज़ार है जिसमें खरीदी गई वस्तुओं या प्रतिभूतियों का भुगतान किया जाता डेरिवेटिव एक्सचेंज क्या है? है और बिक्री के स्थान पर प्राप्त किया जाता है। उदाहरण के लिए, स्टॉक एक नकद बाजार है क्योंकि निवेशकों एक्सचेंज को नकदी के बदले में तुरंत शेयर मिलते हैं।
नकद बाजारों को स्पॉट मार्केट के रूप में भी जाना जाता है क्योंकि उनके लेनदेन “मौके पर” तय किए जाते हैं। इसकी तुलना वायदा बाजार जैसे डेरिवेटिव बाजारों से की जा सकती है, जहां खरीदार भविष्य में एक निर्दिष्ट तिथि पर तेल की एक बैरल जैसी वस्तु प्राप्त करने के अधिकार के लिए भुगतान करते हैं।
नकद बाजार को मुद्रा बाजार के साथ भ्रमित नहीं होना चाहिए, जिसमें नकद समकक्षों (अर्थात बहुत ही अल्पकालिक ऋण साधन) जैसे कोषागार और वाणिज्यिक पत्र में व्यापार शामिल है।
डेरिवेटिव सेगमेंट (Derivative segment) – जब हम डेरिवेटिव्स सीमेंट के बारे में बात करते हैं तो यह एक डेरिवेटिव वित्तीय सुरक्षा है। जिसका मूल्य एक अंतर्निहित परिसंपत्ति या संपत्ति के समूह या एक बेंच मार्ग पर निर्भर या उससे प्राप्त होता है।
डेरिवेटिव एक या एक से अधिक पार्टी के बीच में एक कॉन्ट्रैक्ट भी हो सकता है। और डेरिवेटिव की कीमत अंतर्निहित परिसंपत्ति में उतार-चढ़ाव से प्राप्त किया डेरिवेटिव एक्सचेंज क्या है? जाता है। डेरिवेटिव के लिए सबसे आम अंतर्निहित संपत्ति स्टॉक, बॉन्ड, कमोडिटीज, मुद्राएं, ब्याज दरें और मार्केट इंडेक्स है। यह संपत्ति आमतौर पर ब्रोकरेज के जरिए आप खरीदते हैं।
डेरिवेटिव सेगमेंट को हम फ्यूचर और ऑप्शन सीमेंट के नाम से भी जानते हैं। यानी स्टॉक मार्केट में स्टॉक फ्यूचर एक डेरिवेटिव है। जिसका मूल्य उसके underlying stock के भाव पर निर्भर करता है, और ऑप्शन के साथ भी ऐसा ही है। ऑप्शन भी एक डेरिवेटिव है, जिस का भाव किसी स्टॉप या इंडेक्स के भाव से निकाला जाता है।
डेरिवेटिव के कितने प्रकार होते हैं? – Types of Derivative
डेरिवेटिव के तीन प्रकार होते हैं:-
- Forward Derivative Contract
- Future Derivative Contract
- Option Derivative Contract
डेरिवेटिव को तीन प्रकार में बांटा गया है। यह प्रकार किसी भी खरीद एवं बिक्री करने वाले के बीच में होने वाले कॉन्ट्रैक्ट के आधार पर इसे अलग-अलग प्रकार मे विभाजित करते हैं।
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भारत की कमोडिटी मार्केट में इन्वेस्टमेंट करने से पहले यहां पढ़ें जरुरी जानकारी
अगर आप अपनी गाढ़ी कमाई को भारत की कमोडिटी मार्केट में इन्वेस्ट करना चाहते हैं, तो अपनी धन राशि इन्वेस्ट करने से पहले भारत की कमोडिटी मार्केट के सभी विवरणों के बारे में जानने के लिए इस आर्टिकल को ध्यान से जरुर पढ़ें.
हमारे देश में कमोडिटी स्टॉक एक्सचेंजों पर कमोडिटी कारोबार में इन्वेस्टमेंट की जा सकती है. कमोडिटी एक्सचेंज के नाम से ही यह पता चलता है कि, यह माल/ कमोडिटी के व्यापार को संदर्भित करता है. वित्तीय बाजार के संदर्भ में इसका सीधा-सा मतलब यह है कि, कमोडिटी एक्सचेंज पर होने वाली अनेक किस्म की वस्तुओं का औपचारिक आदान-प्रदान अर्थात कारोबार करना. इन्वेस्टर्स अपना पैसा कमोडिटी मार्केट में कई अलग-अलग तरीकों से इन्वेस्ट कर सकते हैं. कमोडिटी कंपनियों, म्यूचुअल फंड, या एक्सचेंज ट्रेडेड फंड (ETF) द्वारा जारी किए गए शेयर हैं जिन्हें इन्वेस्टर्स द्वारा भविष्य में खुद को मुद्रास्फीति (इन्फ्लेशन) के जोखिम से बचाने के लिए खरीदा जा सकता है. अगर आप भी ऐसे ही कुछ इन्वेस्टर्स में से एक हैं जो भारत की कमोडिटी मार्केट में अपना धन इन्वेस्ट करने पर गंभीरता से विचार कर रहे हैं तो, कमोडिटी मार्केट के बारे में हम आपको इस आर्टिकल में सारी महत्त्वपूर्ण जानकारी दे रहे हैं.
कमोडिटी क्या है?
आसान शब्दों में अगर हम बात करें तो, मूल रूप से कोई भी 'वस्तु' रोजमर्रा की प्रासंगिकता/ जरुरत के सभी सामान जैसेकि भोजन, ऊर्जा, फर्नीचर या धातु का एक समूह या संपत्ति है. हालांकि, इसे प्रकृति से विनिमेय अर्थात (लेने-देने में सुलभ) होना चाहिए ताकि इसका व्यापार किया जा सके. कार्रवाई योग्य दावों और धन को छोड़कर, किसी भी वस्तु अर्थात कमोडिटी को सभी किस्म की चल वस्तुओं के रूप में वर्गीकृत किया जा सकता है, जिन्हें खरीदा और बेचा जा सकता है. आपके कपड़े, जूते, फर्नीचर, खाने-पीने का सारा सामान और दवाइयां, साबुन, तेल आदि सभी ऐसी कमोडिटीज़ हैं जिनका देश-दुनिया में निरंतर लेन-देन या कारोबार होता रहता है.
वस्तुओं/ कमोडिटीज़ में इन्वेस्टमेंट कहां करें?
भारत में कमोडिटी ट्रेडिंग एक्सचेंजों पर सभी किस्म की कमोडिटीज़ का कारोबार होता है. यहां कुछ लोकप्रिय कमोडिटी ट्रेड एक्सचेंजों की सूची आपकी सुविधा के लिए दी गई है: -
- मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज - MCX
- नेशनल कमोडिटी एंड डेरिवेटिव्स एक्सचेंज - NCDEX
- नेशनल मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज - NMCE
- इंडियन कमोडिटी एक्सचेंज - ICEX
भारत की कमोडिटी मार्केट में इन्वेस्टमेंट के लाभ
हमारे देश की कमोडिटी मार्केट में इन्वेस्टमेंट करने पर आपको कई फायदे मिलते हैं जैसेकि:
- मुद्रास्फीति के खिलाफ संरक्षण - कमोडिटी एक्सचेंज में कारोबार की जाने वाली कमोडिटीज़ इन्वेस्टर्स को मुद्रास्फीति/ इन्फ्लेशन के कुप्रभावों से बचाती हैं.
- मूल्य में उतार-चढ़ाव के खिलाफ बचाव-व्यवस्था - आयात और निर्यात के साथ-साथ उत्पाद मूल्य में उतार-चढ़ाव कमोडिटी बाजार को प्रभावित कर सकता है. कमोडिटी फ्यूचर्स में इन्वेस्ट करने से इन्वेस्टर्स को वास्तविक लेनदेन से महीनों पहले तय की गई कीमत पर कमोडिटी खरीदने या बेचने में मदद मिलती है. इस तकनीक को कमोडिटी बाजार में हेजिंग अर्थात बचाव-व्यवस्था के रूप में जाना जाता है.
- विविधीकरण - वस्तुओं में इन्वेस्ट करने से इन्वेस्टर्स वित्तीय प्रतिभूतियों (फाइनेंशिल सिक्यूरिटीज़) के संबंध में अपने इन्वेस्टमेंट पोर्टफोलियो में विविधता ला सकता है.
कमोडिटी कैसे खरीदें अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
- कमोडिटी बाजार में कारोबार करने के लिए, एक इन्वेस्टर को सबसे पहले अपना एक DMAT खाता खोलना होगा.
- कमोडिटीज का कारोबार वैसे ही होता है जैसे भारत के स्टॉक एक्सचेंजों में विभिन्न शेयरों का कारोबार होता है.
- कमोडिटीज में इन्वेस्टमेंट करने के लिए, कमोडिटी फ्यूचर्स और ऑप्शंस, कमोडिटी ETF जैसे कई तरीके हैं, जो सीधे भौतिक वस्तुओं (फिजिकल कमोडिटीज़) में इन्वेस्टमेंट करते हैं.
- सभी इन्वेस्टर्स के लिए इस पॉइंट पर पहले ही ध्यान देना बहुत जरुरी है कि, इन्वेस्टमेंट का कौन-सा तरीका उनकी जेब के लिए सबसे उपयुक्त रहेगा और यह तरीका उनकी कारोबारी जरूरतों से मेल खाता है.
- कमोडिटी ETFs ट्रेडिंग को काफी आसानी बनाते हैं क्योंकि उन्हें स्टॉक की तरह खरीदा जाता है. हालांकि, स्टॉक एक्सचेंज पर शेयर की कीमतों की तरह ही विभिन्न कमोडिटीज़ की भविष्य की कीमतों में भी अक्सर उतार-चढ़ाव होता रहता है.
*अस्वीकरण - यह सारी जानकारी केवल आपके वित्तीय ज्ञान और समझ बढ़ाने के लिए इस आर्टिकल में प्रस्तुत की गई है. इसे किसी भी व्यक्ति के द्वारा वित्तीय सलाह के रूप में नहीं लिया जाना चाहिए.
MCX क्या है ? – Commodity Market से MCX का क्या संबंध है पूरी जानकारी
शेयर मार्केट में इक्विटी मार्केट के बाद निवेश के लिए दूसरा सबसे बड़ा मार्केट कमोडिटी है. इक्विटी मार्केट में लोग पैसे कमाने के बाद सबसे ज्यादा कमोडिटी मार्केट में निवेश करते है.
आप चाहे तो कमोडिटी मार्केट में ट्रेडिंग भी कर सकते है और यह करना बहुत ही आसान है. कमोडिटी मार्केट में निवेश करने के लिए आपको MCX की जरूरत पड़ती है.
तो चलियर सबसे पहले MCX शब्द के बारे में जान लेते है ताकि MXC क्या है इसकी समझने में मदद मिल सके.
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MCX Full Form
MCX Full Form Is = “Multi Commodity Exchange“.
MCX Full Form in Hindi
MCX मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज का मतलब = “बहु वस्तु लेनदेन” होता है. आसान भाषा मे इसे हम कई प्रकार की वस्तुओं को खरीदना और बेचना कहेगे.
MCX का फुल फॉर्म जानने के बाद चलिए अब MCX क्या है जानते है.
MCX Meaning in Hindi
मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज ऑफ इंडिया लिमिटेड (MCX ), भारत का पहला सूचीबद्ध एक्सचेंज, एक अत्याधुनिक, कमोडिटी डेरिवेटिव एक्सचेंज है जो कमोडिटी डेरिवेटिव्स लेनदेन के ऑनलाइन व्यापार की सुविधा प्रदान करता है,
MCX Kya Hai
एमसीएक्स क्या है: MCX, एक स्टॉक एक्सचेंज है जहां कमोडिटी मार्केट के प्रोडक्ट Base Metals, Bullions, Agro Commodities, Energy आदि लिस्टेड होते है.
MCX पर इन्ही में निवेश व ट्रेडिंग की जाती है. जहां MCX Share निवेशक और ट्रेडर को कमोडिटी के शेयर खरीदने और बेचने का साधन प्रदान करती है.
MCX Kya Hota Hai
एमसीएक्स क्या होता है: MCX मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज ऑफ इंडिया लिमिटेड भारत में स्थित एक कमोडिटी एक्सचेंज है। यह भारत सरकार के वित्त मंत्रालय के स्वामित्व में है। यह भारत सरकार द्वारा 2003 में स्थापित किया गया था और वर्तमान में मुंबई में स्थित है। यह भारत का सबसे बड़ा कमोडिटी डेरिवेटिव एक्सचेंज है
MCX in Hindi
MCX एक्सचेंज से आप एलुमिनियम, कॉपर, जिंक, सोना, चांदी, कपास, कॉटन, क्रूड ऑयल, नेचुरल गैस आदि में निवेश कर सकते है.
आप MCX में इनपर ट्रेडिंग भी कर सकते है. क्योंकि कमोडिटी मार्केट में भी ट्रेडिंग करके लोग हजारों और लाखों रुपये महीने कमाते है.
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Commodity Trading क्या है शेयर मार्केट में कमोडिटी ट्रेडिंग क्या होता है
शेयर मार्केट में हम शेयर ट्रेडिंग के अलावा अक्सर एक शब्द और सुनते हैं Commodity Trading बहुत सारे लोग कई बार कंफ्यूज रहते हैं कि शेयर ट्रेडिंग और कमोडिटी ट्रेडिंग में क्या फर्क होता है इसीलिए आज हम इस जानकारी में यही जानेंगे कि कमोडिटी क्या है कमोडिटी ट्रेडिंग कैसे किया जाता है हम इसमें किन चीजों की ट्रेडिंग कर सकते हैं।
Commodity क्या है कमोडिटी ट्रेडिंग कैसे करते है।
Commodities का मतलब होता है ऐसी चीजें जिन्हें हम डेली लाइफ में यूज करते हैं और उन चीजों को कोई भी प्रोड्यूस करें हम उसे एक जैसा ही मानते हैं उदाहरण के लिए चावल, गेहूं, तेल, एलपीजी, सोना और सिल्वर और जिस तरह शेयर मार्केट में हम शेयर पर डेरिवेटिव ट्रेडिंग करते हैं ठीक उसी तरह हम कमोडिटी मार्केट में कमोडिटीज डेरिवेटिव ट्रेडिंग कर सकते हैं।
कमोडिटी ट्रेडिंग के प्रकार
कमोडिटी मार्केट में 4 तरह के कमोडिटीज में ट्रेडिंग होती है।
- Agri Commodity (एग्री कमोडिटीज क्या है)- जिसमें चीनी दाल सरसों का तेल चना सोयाबीन इलायची आते हैं
- Base Metals (बेस मेटल्स)- जैसे एलमुनियम कॉपर लेड निकेल और जिंक
- Precious Metals (प्रेशियस मेटल्स)- इसमें मिली दो कमोडिटी जाती है सोना और चांदी
- Anergy Commodity (एनर्जी कमोडिटीज)- जिसमें क्रूड आयल नेचुरल गैस आते हैं।
कमोडिटीज की ज्यादातर ट्रेडिंग फ्यूचर डेरिवेटिव में होती है यानी कि हम इन चारों तरह के कमोडिटी पर अलग-अलग टाइम ड्यूरेशन के फ्यूचर कांट्रैक्ट की बाय और सेलिंग कर सकते हैं एक बात जो कमोडिटी फीचर्स को शेयर फीचर से अलग करती है वह यह है कि शेर के फीचर्स केवल 3 महीने के लिए होते हैं पर कमोडिटीज के फीचर्स से कहीं ज्यादा टाइम पर हो सकते हैं उदाहरण के लिए हम क्रूड आयल के सिक्स मंथ के लिए डेरिवेटिव कॉन्ट्रैक्ट बाय कर सकते हैं दोस्तों जिस तरह शेयर की ट्रेडिंग स्टॉक एक्सचेंज पर होती है वैसे ही Commodity Trading कमोडिटी एक्सचेंज पर होती है।
भारत में 6 कमोडिटी एक्सचेंज कंपनी है।
- MCX-मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज
- NCDEX-नेशनल कमोडटी एंड डेरिवेटिव्स एक्सचेंज
- NMCE-नेशनल मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज
- ICEX-इंडियन कमोडिटी एक्सचेंज
- ACE-एस डेरिवेटिव एक्सचेंज
- UCX-द यूनिवर्सल कमोडिटी एक्सचेंज
यानी कि हम जब भी कमोडिटीज में ट्रेनिंग करेंगे तो हमारा ट्रेड इन सभी एक्सचेंज कंपनी के जरिए ही होगा। साथ ही कमोडिटीस का रेगुलेटर सेबी ही है। जो शेयर मार्केट खूबी रेगुलेट करती है।
कमोडिटी मार्केट में सबसे ज्यादा ट्रेडिंग क्रूड आयल और गोल्ड में होती है और इन कमोडिटीज में वैसे लोग ज्यादा ट्रेडिंग करते हैं जो इसी फील्ड में काम करते हैं।
कमोडिटी ट्रेडिंग कितना रिस्की है
कमोडिटी में ट्रेडिंग करना शेयर्स में ट्रेनिंग करने से ज्यादा रिस्की होता है क्योंकि किसी भी कमोडिटी का प्राइस काफी कम समय में जल्दी से चेंज होता है इसकी वजह यह है कि कमोडिटीज में ऐसे प्रोडक्ट है जो फिजिकल सप्लाई डिमांड पर बेचने हैं जैसे सऊदी अरेबिया में तेल को लेकर कोई इशू हो जाए तो क्रूड ऑयल की कीमत पर इसका बहुत प्रभाव पड़ सकता है। ठीक इसी तरह अगर भारत में शुगर की प्रोडक्शन जरूरत से काफी कम हो जाए तो शुगर की प्राइस इंडियन कमोडिटी मार्केट में काफी तेजी से बढ़ सकती है।
दोस्तों कमोडिटीज में ट्रेडिंग डेरिवेटिव में होती है और डेरिवेटिव की ट्रेडिंग मार्जिन पर होती है। इस वजह से अगर हमारा ट्रेड गलत जगह हो गया तो हमें काफी नुकसान हो सकता है। पर अगर हमारा ट्रेड सही हुआ हमें मारजिंग की वजह से काफी ज्यादा प्रॉफिट भी हो सकता है। अगर हम कमोडिटी मार्केट में ट्रेड होने वाली किसी भी कमेटी में अच्छा नॉलेज है तो हम उसम ट्रेडिंग जरूर कर सकते हैं।
कमोडिटी की जगह ज्यादातर ट्रेडिंग फ्यूचर्स में होती है इसलिए यदि आप कम्युनिटी में ट्रेडिंग करने के बारे में सोच रहे हैं तो पहले आपको फ्यूचर ट्रेडिंग को अच्छे से समझ लेना है अच्छी बात यह है कि हमने फ्यूचर ट्रेडिंग के बारे में जानकारी इस वेबसाइट में बताई हुई है सर्च बाहर में सर्च करके उसके बारे में जानकारी ले सकते हैं।
कमोडिटी मार्केट में कितने एक्सचेंज कंपनियां है ?
कमोडिटी मार्केट में 6 एक्सचेंज कंपनी है।
- Multi commodity exchange
- National commodity and derivative exchange
- National multi commodity exchange
- Indian commodity exchange
- Ace derivative exchange
- The universal commodity exchange
कमोडिटी मार्केट में सबसे ज्यादा ट्रेडिंग किसमें होती है ?
कमोडिटी ट्रेडिंग में सबसे ज्यादा ट्रेडिंग क्रूड आयल और गोल्ड में होती है।
आज के इस जानकारी में हमने कमोडिटी ट्रेडिंग के बारे में जाना हम इस में किन-किन चीजों की ट्रेडिंग कर सकते हैं और इसमें ट्रेडिंग कैसे होती है। यदि आपको यह जानकारी से संबंधित कुछ सवाल पूछना है तो नीचे कमेंट बॉक्स में कमेंट करके पूछ सकते हैं।
एनएसई लगातार तीसरे साल दुनिया का सबसे बड़ा डेरिवेटिव एक्सचेंज, कैश इक्विटी मार्केट की श्रेणी में पाया ये मुकाम
बिज़नस न्यूज़ डेस्क- एक रिपोर्ट के मुताबिक, नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) दुनिया की सबसे बड़ी जेनरेट की गई पोमी की संख्या के अनुसार उभरा है। इस उपलब्धता के साथ, एनएसई ने अपने बयान में कहा है कि विश्व संघ का विनिमय 2021 के लिए दुनिया के चौथे सबसे बड़े कैश इक्विटी बाजार में व्यापार के आधार पर चुना गया है।2021 में, एनएसई पर कुल पंजीकृत निवेशकों की संख्या 5 करोड़ और 5.5 करोड़ से अधिक हो गई। पिछले 10 वर्षों में, इक्विटी डेरिवेटिव्स दैनिक टर्नियो 4.2 गुना बढ़ाने के लिए इक्विटी डेरिवेटिव्स 1,41,267 करोड़ रुपये हो गए हैं। निवेश के आधार पर, राष्ट्रीय स्टॉक एक्सचेंज को इंडेक्स विकल्पों और अनुबंधों के आधार पर मुद्रा विकल्पों में पहला नंबर दिया गया डेरिवेटिव एक्सचेंज क्या है? है। इंडेक्स विकल्प अनुबंध निफ्टी बैंक इंडेक्स को पहली श्रेणी दी गई है। व्यापारियों की संख्या के आधार पर, निफ्टी 50 इंडेक्स विश्व स्तर पर दूसरे स्थान पर है।
एनएसई ने हाल ही में एक बयान जारी किया है कि उन्होंने निफ्टी एमिड कैप्स पर डेरिवेटिव लॉन्च करने की मंजूरी दे दी है और बाजार नियामक सेबी से इस डेरिवेटिव का व्यापार 24 जनवरी से शुरू होगा। इस उपलब्धता पर, एनएसई सीईओ ने कहा कि एनएसई के सीईओ ने कहा कि एनएसई ग्लोबल लीडर को दुनिया के सबसे बड़े व्युत्पन्न विनिमय और दुनिया के चौथे सबसे बड़े कैश इक्विटी उत्तेजना के रूप में उभरा है। इन उपलब्धता में केंद्र सरकार, सेबी, रिजर्व बैंक, व्यापार और समाशोधन एम्बर और दूसरे स्टेक धारकों शामिल हैं।
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