ऑनलाइन और ऑफलाइन ट्रेडिंग के बीच अंतर | Difference between Online and Offline Trading in Hindi
ऑनलाइन और ऑफलाइन ट्रेडिंग के बीच अंतर | Difference between Online and Offline Trading in Hindi
ऑनलाइन और ऑफलाइन ट्रेडिंग के बीच अंतर (Difference between Online and Offline Trading)
(1) इंटरनेट और कम्प्यूटर की व्यापक असंबद्ध लोकप्रियता के ब्रोकर और ट्रेडर के बीच अंतर साथ, ऑफलाइन ट्रेडिंग एक ऐसी अवधारणा बन गई है जिसके बारे में कभी नहीं सुना गया। हालाँकि, ऑनलाइन ट्रेडिंग की सुविधा होने से पहले, ट्रेडिंग केवल ऑफलाइन की जाती थी। ऑफलाइन ट्रेडिंग में, आप अपना ऑर्डर किसी ब्रोकर को देते हैं जो फिर आपके लिए शेयर खरीदता या बेचता है। आपका ब्रोकर यहाँ एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। ऑफलाइन ट्रेडिंग बोझिल हो सकती है, और इसके साथ कई कमियाँ जुड़ी हुई हैं यही वजह है कि लोग अब, तकनीक की समझ रखने वाले या नहीं, ऑनलाइन ट्रेडिंग पसंद करते हैं।
(2) आपको केवल एक इंटरनेट कनेक्शन की आवश्यकता है और लेनदेन कुछ ही सेकंड में किए जा सकते हैं। दूसरी ओर ऑफलाइन ट्रेडिंग के लिए व्यक्ति को ब्रोकर के कार्यालय से संपर्क करने और लेनदेन को अंतरंग करने के लिए विस्तृत फोन कॉल करने की आवश्यकता होती है। यह ऑफलाइन ट्रेडिंग को और अधिक महंगा बनाता है क्योंकि ब्रोकर इन लेनदेन को करने के लिए मोटी रकम वसूलते है।
(3) व्यापार में आसानी- ऑनलाइन ट्रेडिंग व्यक्तिगत रूप से की जाती है और सभी लेनदेन व्यक्ति की इच्छा के अनुसार बिना किसी बाहरी स्रोत के संदर्भ या हस्तक्षेप के किए जाते हैं, ऑफलाइन ट्रेडिंग के विपरीत जहाँ ब्रोकर सभी लेनदेन करता है। आज की दुनिया में ऑनलाइन ट्रेडिंग ब्रोकर और ट्रेडर के बीच अंतर भी अधिक सुविधाजनक है क्योंकि ट्रेडिंग करने के लिए किसी भी उपकरण का उपयोग किया जा सकता है।
(4) हालाँकि, यदि आप ऑनलाइन ट्रेडिंग में शामिल होना चाहते हैं तो इंटरनेट कनेक्शन की कमी परेशानी का सबब साबित हो सकती है। लेन-देन करने के लिए फोन कॉल करना तो आपकी सबसे अच्छी शर्त है। ऑफलाइन ट्रेडिंग उन लोगों के लिए भी एक अच्छा विकल्प है जो किसी भी प्रकार के लेनदेन पर विचार करते समय व्यक्तिगत सेवाएँ और नियमित सलाह पसंद करते हैं। कभी-कभी क्षेत्र में किसी पेशेवर की सलाह आवश्वस्त करती है। हालाँकि, यह काफी हद तक इस बात पर निर्भर करता है कि आप किस प्रकार के ब्रोकर के साथ काम कर रहे हैं।
(5) वास्तविक समय की जानकारी- व्यापार को कुशलतापूर्वक करने के लिए, एक व्यापारी को वास्तविक समय की जानकारी तक पूर्णकालिक पहुँच की आवश्यकता होती है, जिसमें शेयर बाजार में किसी भी दुर्घटना या उछाल के अपडेट शामिल हैं। ऑनलाइन ट्रेडिंग का एक बड़ा लाभ यह है कि यह सभी वास्तविक समय की जानकारी आसानी से सुलभ प्लेटफॉर्म पर प्रदर्शित होती है। ऑफलाइन ट्रेडिंग आपको इस पहलू में एक कदम पीछे रखती है क्योंकि बाजार हर सेकेंड में खुद को अपडेट करता रहता है। कॉल करने और फिर हिट ट्रेड करने में लगने वाला समय लेन-देन को पूरा करने में लगने वाले समय को बढ़ाता है।
(6) सुविधा – ऑनलाइन या ऑफलाइन सेवाओं का चयन व्यक्ति की सुविधा के आधार पर किया जाना चाहिए। यदि आपके पास लैपटॉपध्मोबाइल, पूर्णकालिक इंटरनेट तक पहुँच है और आप कहीं से भी शेयर बाजारों को ट्रैक करने के लिए पर्याप्त तकनीकी जानकार हैं, तो ऑनलाइन ट्रेडिंग एक अच्छा विकल्प है।
(7) सुरक्षा- ऑनलाइन ट्रेडिंग अधिक सुरक्षित है क्योंकि व्यक्तिगत व्यापारी का लेनदेन पर पूरा नियंत्रण होता है। दूसरी ओर, ऑफलाइन व्यापार में, दलाल ग्राहक की जानकारी के बिना ग्राहक की ओर से लेनदेन कर सकते हैं। इससे ग्राहक के खाते में नुकसान हो सकता है।
ब्रोकिंग हाउस की धोखाधड़ी: आप शेयर बाजार में ट्रेड करते हैं तो समझिए कैसे ब्रोकर हाउस आपके पैसों का दुरुपयोग करते हैं, इस ब्रोकर हाउस पर 9 लाख की पेनाल्टी लगी
आप अगर शेयर बाजार में ट्रेड करते हैं तो आपको सावधान रहना चाहिए। हो सकता है कि आपके पैसों का दुरुपयोग हो जाए। ग्राहकों के पैसों का दुरुपयोग करने के आरोप में सेबी ने ब्रोकिंग हाउस मोनार्क नेटवर्थ कैपिटल पर 9 लाख रुपए की पेनाल्टी लगाई है। सेबी ने बुधवार को जारी अपने आदेश में यह जानकारी दी है। सेबी ने इसमें तीन अलग-अलग नियमों के उल्लंघन के आरोप में यह फाइन लगाई है। यह पेनाल्टी 45 दिनों के अंदर जमा करने का आदेश दिया गया है।
18 मई को कारण बताओ नोटिस दिया
सेबी ने कहा कि 18 मई को उसने मोनार्क नेटवर्थ कैपिटल को ब्रोकर और ट्रेडर के बीच अंतर कारण बताओ नोटिस भेजा था। सेबी ने इस ब्रोकिंग फर्म की 17 दिसंबर 2018 से 21 दिसंबर 2018 तक नियमों के उल्लंघन के मामले की जांच की थी। सेबी ने कहा कि फरवरी 2018 से मार्च 2018 तक के 38 कारोबारी दिनों में से 35 कारोबारी दिनों में मोनार्क के पास जो फंड थे, वह ग्रॉस क्रेडिटर्स से कम थे। इसमें यह पता चला कि इस तरह के फंड का मिसयूज किया गया।
खुद के लिए पैसे का उपयोग किया
ब्रोकिंग हाउस ने ग्राहक का पैसा अपने खुद के उद्देश्य के रूप में उपयोग किया। यह पैसा करीबन 2.36 करोड़ से लेकर 33.62 करोड़ रुपए था। सेबी ने जांच में पाया कि ब्रोकिंग हाउस द्वारा वित्तीय संस्थानों के पास ग्राहकों की सिक्योरिटीज को गिरवी रखकर पैसा लिया गया। 12 अप्रैल 2017 को कुल 3,109 ग्राहकों की सिक्योरिटीज ब्रोकर और ट्रेडर के बीच अंतर गिरवी रखी गई जिसकी वैल्यू 29 करोड़ रुपए थी। इसमें से 3.66 करोड़ रुपए का गलत तरीके से उपयोग किया गया।
इसी तरह से 31 मई 2017 को 1,690 ग्राहकों की सिक्योरिटीज गिरवी रखी गई जिसकी वैल्यू 39.21 करोड़ रुपए थी। इसमें से 37 लाख रुपए गलत तरीके से कंपनी ने उपयोग किया।
ग्राहकों के खातों का सेटलमेंट नहीं किया
सेबी ने यह भी पाया कि सभी तिमाहियों के दौरान कंपनी ने उन ग्राहकों के खातों का सेटलमेंट नहीं किया जिनके खाते एक्टिव नहीं थे। जिनका सेटलमेंट नहीं किया गया उनके खातों की कुल रकम 8 लाख जून 2017 में थी जो सितंबर 2017 में 1.85 करोड़ रुपए हो गई। सेबी ने कहा कि अप्रैल 2017 से जून 2017 तक कुल 519 ग्राहक एक्टिव नहीं थे और उनका 31.88 लाख रुपए सेटलमेंट नहीं हुआ।
जून 2017 से सितंबर 2018 तक नहीं किया सेटलमेंट
इसी तरह जून 2017 से सितंबर 2017 के बीच 680 ग्राहकों के 2.19 करोड़ रुपए, सितंबर 2017 से दिसंबर 2017 के बीच 693 ग्राहकों के 2.14 करोड़ ब्रोकर और ट्रेडर के बीच अंतर रुपए, दिसंबर 2017 से मार्च 2018 के बीच 633 ग्राहकों के 78 लाख रुपए, मार्च 2018 से जून 2018 के बीच 639 ग्राहकों के 75.54 लाख रुपए और जून 2018 से सितंबर 2018 के बीच 499 ग्राहकों के 69.35 लाख रुपए का सेटलमेंट नहीं किया गया। सेबी ने कहा कि मोनार्क नेटवर्थ कैपिटल ने अप्रैल 2018 में 600 ग्राहकों के डिटेल्स और सितंबर 2018 में 2,452 ग्राहकों के डिटेल्स को एक्सचेंज पर अपलोड नहीं किया।
बैक ऑफिस के रिकॉर्ड में अंतर
सेबी के आदेश के मुताबिक इसी तरह से कंपनी के बैक ऑफिस रिकॉर्ड से कई रिकॉर्ड नहीं मिल रहे थे। कई सारे ईमेल आईडी और मोबाइल नंबर भी नहीं मिल रहे थे। मोनार्क ने कुछ खातों का केवाईसी डाक्यूमेंट भी तय समय में अपलोड नहीं किया था। साथ ही केवाईसी को वेरीफाई भी नहीं किया गया था। कुल 408 केवाईसी को होल्ड की स्थिति में रखा गया था।
आप क्या करें?
आप अगर शेयर बाजार में ट्रेड करते हैं तो आपको यह ध्यान रखना चाहिए कि ब्रोकर हाउस को कोई भी अधिकार न दें। हालांकि सेबी के हालिया नियम के बाद ऐसी घटनाएं होती हैं तो आपको तुरंत पता चलेगी। लेकिन आपको चाहिए कि घटना होने से पहले ही सावधान रहें। आप हमेशा ब्रोकिंग हाउस से अपने फोन नंबर को लिंक करें। हमेशा ईमेल आईडी को लिंक करें। हो सके तो जिस बैंक खाते से आप ट्रेड करते हैं, उसमें उतना ही पैसा रखें जितना आप ट्रेड करते हैं। इससे यह होगा कि आपके कम पैसे का दुरुपयोग होगा। साथ ही आपको चाहिए कि उन ब्रोकर्स के साथ आप ट्रेड करें जिनका प्रमोटर्स अच्छा हो, जिनकी क्रेडिट अच्छी हो।
आजकल कई ब्रोकर्स ऐसे आ गए हैं जो ट्रेडिंग फ्री दे रहे हैं या कुछ रुपए में दे रहे हैं। ऐसे में आप को अपने पैसे और ट्रेड को लेकर सावधान रहना चाहिए।
Regular Broker vs Discount Broker – हम कौनसा चुने ?
यदि कोई Broker सभी सुविधाए उपलब्ध करवाएगा तो उसे उसके किए गए खर्च के अनुसार उसको आम्दनी भी तो मिलनी चाहिए ना ?
इसी वजह से Full Service broker ज़्यादा कमीशन लेते है।
Discount Broker क्या होते है ?
Discount Broker (जैसे Upstox) वो ब्रोकर होता है जो कि अपने निवेशक को सिर्फ जरुरी सुविधाए ही उपलब्ध कराते है जिसमे की
फ्री सुविधाए :
- चार्टिंग टूल उपलब्ध करवाना। (Charting Tool)
- खरीद बिक्री की रसीद उपलब्ध करवाना ( ईमेल से )
- मोबाइल ट्रेडिंग की सुविधा।
- खाते का विवरण उपलब्ध करवाना।
- संपर्क करके ट्रेडिंग करना।
- खरीद बिक्री की रिसीप्ट उपलब्ध करवाना (पोस्ट से)
Discount Broker सिर्फ सामान्य सुविधाए उपलब्ध कराता है जिसके कारण वो फुल सर्विस Broker से बहुत ही कम खर्च करता है।
इसी वजह से वो full service broker से बहुत ही कम कमीशन लेता है।
हमें कौनसा Broker चुनना चाहिए ?
इस सवाल का सीधा जवाब है आप को अपने लिए जरुरी सुविधाओं के अनुसार निश्चित करना चाहिए।
दोनों तरह के Brokers की अपनी अपनी सुविधाए है और अपने अपने खर्च है।
इस वजह से दोनों Broker अपनी सुविधाओ के अनुसार ज़्यादा या फिर कम कमीशन लेते है।
- अगर आप लम्बे समय के निवेशक है और खुद रिसर्च नहीं कर सकते या फिर आपके पास रिसर्च करने का समय नहीं है, तो आप अपना खाता फुल सर्विस या फिर Regular Broker के पास खुलवा सकते है।
- यदि आप ऐसे निवेशक है जो की खुद से रिसर्च कर सकते है तो आपको सभी सुविधाओं की ज़रूरत नहीं तो फिर आपको ज़्यादा कमीशन नहीं देना चाहिए।
तो फिर आपको Discount Broker के पास खाता खुलवाना चाहिए।
- यदि आप एक ट्रेडर है जो की हर रोज ट्रेडिंग करते रहते है और खुद से रिसर्च कर के ट्रेडिंग कर सकते है, तो भी आपको ज़्यादा Brokerage नहीं देना चाहिए इस लिए आपके लिए DiscountBroker ही बेहतर है।
- अगर आप ऐसे ट्रेडर है जो की खुदसे रिसर्च नही कर सकते और आप बहोत ही कम ट्रेडिंग करते है तो आप फुल सर्विस Broker के पास भी अपना खाता खुलवा सकते है।
दोस्तों आपको खाता कहा खुलवाना है वो तो आखिर में आप को ही निश्चित करना है।
उम्मीद करता हु दोस्तों की आपको समझमे आ गया होगा की ‘हमें कौनसा Broker चुनना चाहिए Regular या फिर Discount ?‘
यदि आपको यह समझने में कुछ परेशानी हुई होतो आप मुझे Comment Box में बता सकते है, में आपको समझाने का पूरा प्रयाश करूँगा।
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By Gaurav
Gaurav Popat एक निवेशक, ट्रेडर और ब्लॉगर है, जो की शेयर बाज़ार मे बहुत रुचि रखता है। वह साल 2015 से शेयर बाज़ार मे है। पिछले 7 साल मे खुद अलग अलग जगह से सीख कर और अनुभव के आधार पर शेयर बाज़ार और निवेश के विषय मे यहा पर जानकारी देता है।
Share Market में निवेश के लिए ब्रोकर चुन रहे हैं? इन 5 बातों का ख्याल रखें
मार्च 2018 से अब तक 34 ब्रोकर डिफॉल्टर घोषित हो चुके हैं
नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) की वेबसाइट पर उपलब्ध आंकड़ों के मुताबिक मार्च 2018 से अब तक 34 ब्रोकर डिफॉल्टर घोषित हो चुके हैं. इस साल अब तक 3 ब्रोकर डिफॉल्टर हुए हैं.
ब्रोकिंग उद्योग के सूत्रों का कहना है कि ये डिफॉल्ट ज्यादातर ब्रोकरों द्वारा क्लाइंट सिक्योरिटीज और फंड के दुरुपयोग का परिणाम है. भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) ने इस तरह की प्रथाओं पर रोक लगाने के लिए और कड़े मानदंडों की शुरुआत की है. जिसके बाद ये ब्रोकर उसकी अनुपालन नहीं कर सके और डिफॉल्टर हो गए.
अगर आप शेयर बाजार में निवेश करने वाले हैं तो ब्रोकर चुनने से पहले इन बातों का ध्यान रखें.
1. अपने मार्जिन पर ट्रेड करें
सबसे पहले, जिस बात का निवेशकों को ध्यान रखना चाहिए वो क्लाइंट मार्जिन के अलगाव और आवंटन से जुड़ा है. रेगुलेटर द्वारा यह एक बड़ा कदम है जो 2 मई से प्रभावी होगा.
वर्तमान में ग्राहकों की व्यक्तिगत सीमा तय करना ब्रोकर के हाथ में है. ब्रोकर देखता है कि पिछले सप्ताह तीन ग्राहकों ने लेन-देन नहीं किया है, तो वह सात ग्राहकों के बीच अपनी 10 लाख रुपये की सीमा निर्धारित कर सकता है. इसे ऐसे समझें, ब्रोकर ग्राहकों के एक समूह से संबंधित धन का उपयोग दूसरों के लेन-देन के लिए कर सकता है.
बिजनेस स्टैंडर्ड के रिपोर्ट के मुताबिक, SEBI के नए नियम इस तरह के मामलों पर नजर रखेगी. 2 मई से ब्रोकरों को CCIL की बेवसाइट पर एक फाइल अपलोड करनी होगी. जिसमें प्रत्येक ग्राहक को दी जाने वाली सीमा का ब्रेक-अप देना होगा. इस जानकारी के आधार पर CCIL यह सुनिश्चित करेगा कि कोई ग्राहक अपनी व्यक्तिगत सीमा से अधिक पोजीशन न लें.
Zerodha के COO वेणु माधव कहते हैं, "इन मानदंडों की शुरूआत का मतलब यह होगा कि कोई ग्राहक दूसरे ग्राहकों की सीमा का उपयोग करके उसके द्वारा जमा किए गए मार्जिन से अधिक की पोजीशन नहीं ले सकेगा."
2. फ्लोटिंग नेट वर्थ की अवधारणा
अब फ्लोटिंग नेट वर्थ की अवधारणा पेश की गई है. ब्रोकरों को न्यूनतम नेट वर्थ के अलावा फ्लोटिंग नेट वर्थ भी मेंटेन करना होगा. मान लीजिए की एक ब्रोकर का एवरेज कैश बैलेंस 10,000 करोड़ रुपये है, उसे अब 1,000 करोड़ रुपये का नेट वर्थ बनाए रखना ब्रोकर और ट्रेडर के बीच अंतर होगा. ब्रोकरों को फरवरी 2023 तक इस मानदंड का पालन करना होगा.
3. भुगतान में देरी से सावधान रहें
ब्रोकर के साथ खाता खोलने से पहले ऑनलाइन रिव्यू जरूर पढ़ें. एक्सचेंजों की वेबसाइटों पर ब्रोकर के खिलाफ शिकायतों की जांच करें. यदि आपको भुगतान में देरी, धन के गलत प्रबंधन, या अनधिकृत ट्रेडों से संबंधित शिकायतें मिलती हैं, तो उस ब्रोकर से बचें. हाई लीवरेज के वादे के साथ ग्राहकों को लुभाने की कोशिश करने वाले किसी भी ब्रोकर से बचना चाहिए.
4. ब्रोकिंग चार्जेज का ध्यान रखें
अकसर ब्रोकर्स अपना ब्रोकिंग चार्ज फिक्स्ड ही रखते हैं. हालांकि, ये कारोबार के वॉल्यूम और फ्रीक्वेंसी पर भी निर्भर करते हैं. ऐसे में इस बारे में बात कर लेना भी जरूरी है.
5. अन्य सेवाओं की जानकारी
कुछ ब्रोकरेज हाउस सिर्फ इक्विटी ब्रोकिंग की सेवा ही नहीं प्रदान करतें, बल्कि कई प्रकार की अन्य सेवाएं भी आप तक पहुंचाते हैं. ऐसे में जान लें कि यह सेवाएं क्या हैं और आपके लिए इनकी क्या उपयोगिता है. इसके बाद ही ब्रोकर का चयन करें.
स्टॉक ब्रोकर (stock broker) क्या होता हैं? kaise bane in hindi
शेयर मार्केट , स्टॉक ब्रोकर , स्टॉक एक्सचेंज , सेंसेक्स , निफ़्टी इत्यादि ये सारे नाम आपने जरूर सुना होगा कम टाइम में इन्वेस्टमेंट के द्वारा अच्छी कमाई की चाहत रखने लोग अक्सर स्टॉक एक्सचेंज में निवेश करते हैं जिसे हम लोग आम भाषा में शेयर मार्केट कहते हैं। इन्वेस्टर और शेयर मार्केट इन दोनों के बीच जो काम करता है उसे हम स्टॉक ब्रोकर कहते हैं।
आज की इस पोस्ट में हम इसी के बारे में आपको शुरू से लेकर अंत तक सारी जानकारी देने वाले हैं यह जानकारी जानने के लिए इस पोस्ट को अंत तक पढ़ें।
Stock broker क्या है
स्टॉक ब्रोकर वह है जो investment karne wala और शेयर मार्केट दोनों के बीच काम करता है बिना stock broker के कोई भी इन्वेस्टर या निवेशक अपना ट्रेड शेयर मार्केट में नहीं डाल सकता है
इसलिए दोस्तों यदि आप स्टॉक मार्केट में इन्वेस्ट करना चाहते हैं तो आपको डिमैट अकाउंट और एक ट्रेडिंग अकाउंट खोलना होता है और यह दोनों अकाउंट स्टॉक ब्रोकर द्वारा ही खोला जाता है
किसी भी इन्वेस्टर की buy या sell का आर्डर ब्रोकर ही स्टॉक एक्सचेंज के पास पहुंचाया जाता है
देखा जाए तो शेयर बाजार में दो तरह के स्टॉक ब्रोकर काम करते हैं पहले ब्रोकर को हम full service stock broker कहते हैं दूसरे ब्रोकर को हम discount stock broker तो आइए हम इन दोनों प्रकार के बारे में डिटेल से जानकारी देते हैं कि इनका क्या-क्या काम होता है।
full service stock broker क्या है?
यह स्टॉक ब्रोकर को सबसे बढ़िया ब्रोकर माना जाता है क्योंकि यह ब्रोकर अपने क्लाइंट को तरह-तरह की सुविधाएं प्रदान करते हैं जैसे शेयर कब खरीदे , शेयर कब बेचें मोबाइल , फोन पर ट्रेडिंग करने की सुविधा , आईपीओ में इन्वेस्ट की सुविधा इसके अलावा वह फूल टाइम कस्टमर सर्विस की सुविधा भी प्रदान करते हैं। इसके मद्देनजर देखा जाए तो इन स्टॉक ब्रोकर की फीस भी ज्यादा होती है क्योंकि यह फुल टाइम सर्विस प्रदान करते हैं।
आइए हम आपको कुछ पॉपुलर फुल सर्विस स्टॉक ब्रोकर के बारे में बताते हैं
discount stock broker क्या है?
यह स्टॉक ब्रोकर अपने क्लाइंट से कम फीस में स्टॉक मार्केट में इन्वेस्ट करने की सुविधा प्रदान कर देते हैं क्योंकि यह अपने क्लाइंट को स्टॉक एडवाइजरी और रिसर्च फैसिलिटी इत्यादि जैसी सुविधाएं प्रदान नहीं करते फुल स्टॉक ब्रोकर की तरह इनका ज्यादा से ज्यादा काम ऑनलाइन ही होता है
आइए हम कुछ पॉपुलर डिस्काउंट स्टॉक ब्रोकर के बारे में आपको बताते हैं
- ZERODHA
- MASTER CAPITAL SERVICES LTD
- SOUTH ASIAN STOCK LTD
Stock broker कैसे बने?
दोस्तों यदि आप भी एक स्टॉक ब्रोकर बनना चाहते हैं तो आपको फाइनेंशियल मार्केट का बहुत ही अच्छा ज्ञान होना आवश्यक है इसके साथ-साथ आपके पास स्टॉक ब्रोकर बनने के लिए तरह-तरह के परमिशन लेने पड़ते हैं तब जाकर आप एक स्टॉक ब्रोकर के रूप में लोगो को ट्रेडिंग करने की सुविधा प्रदान कर सकते हैं तथा अपनी कमाई कर सकते हैं।
वैसे देखा जाये तो स्टॉक ब्रोकर बनना आसान काम नहीं है इसके लिए आपको नॉलेज के साथ-साथ आपको तरह-तरह की चीजें होना आवश्यक है।
आईये हम आपको डिटेल में जानकारी देते है कि आप एक स्टॉक ब्रोकर किस प्रकार बन सकते हैं।
#1. स्टॉक ब्रोकर बनने वाले इच्छुक व्यक्ति को सबसे पहले Capital Market , Stock broking और निवेश संबंधित और भी अन्य सुविधाओं के बारे में कोर्स करना पड़ता है। भारत के कुछ प्रशिक्षण संस्थान में यह कोर्स कराए जाते हैं।
#2. जब यह कोर्स पूरा कर लेते हैं तो आपको किसी स्टॉक ब्रोकिंग कंपनी के साथ जुड़कर कम से कम 2 साल तक इस मार्केट का अनुभव लेना पड़ता है।
इसके बाद आपको स्टॉक ब्रोकर बनने के लिए सेबी के पास रजिस्ट्रेशन करना पड़ता है , NSE और BSE का मेंबरशिप लेना पड़ता है , डिपॉजिटरी की मेंबरशिप लेना पड़ता है और भी बहुत सारे काम होते हैं तो आइए इनके बारे में हम आपको डिटेल में बताते हैं
SEBI के साथ रजिस्ट्रेशन करें
स्टॉक ब्रोकर बनने के लिए आपको सर्वप्रथम SEBI के साथ रजिस्ट्रेशन करना पड़ता है जब आप SEBI पर रजिस्ट्रेशन करते हैं तो SEBI आपके बारे में पूरा रिसर्च करती है कि आपके पास ऑफिस है या नहीं और यह बिजनेस चलाने के लिए आपके पास जरूरी कागजात है या नहीं जब यह रजिस्ट्रेशन आपका पूरा हो जाता है तो आपको SEBI के द्वारा एक सर्टिफिकेट मिल जाता है।
NSE और BSE का मेंबरशिप लें
SEBI के द्वारा सर्टिफिकेट सर्टिफिकेट लेने के बाद अब बारी आती है आपको NSE और BSE का मेंबरशिप लेने आप मेंबरशिप फीस को देकर इनकी मेंबरशिप ले सकते हैं इसके साथ NSE और BSE के द्वारा सिक्योरिटी डिपॉजिट कराया जाता है तब जाकर आपको इनकी मेंबरशिप मिल जाती है।
इनकी मेंबरशिप लेने के लिए आपकी उम्र 21 वर्ष से ऊपर तक होनी चाहिए तथा आपके पास किसी स्टॉक एक्सचेंज के साथ काम करने का 2 साल का एक्सपीरियंस होना चाहिए।
Depository Membership लें
इसके साथ-साथ दोस्तों आपको डिपॉजिटरी का मेंबरशिप लेना पड़ता है इसका मेंबरशिप लेने के लिए आपको मेंबरशिप फीस तथा सिक्योरिटी फीस देनी होती है तब जाकर आपको डिपॉजिटरी मेंबरशिप मिलती ह
एक अच्छा ट्रेडिंग सॉफ्टवेयर तथा मोबाइल ऐप बनवाएं
दोस्तों जब आप एक स्टॉकब्रोकर बन जाते हैं तो आपको एक अच्छा ट्रेडिंग सॉफ्टवेयर तथा मोबाइल ऐप भी बनानी पड़ती है ताकि कस्टमर आपके तरफ अट्रैक्टिव हो तथा आपके सॉफ्टवेयर का मोबाइल है पर आकर ट्रेडिंग करें ताकि आपको फायदा हो इसके अलावा आपको इसकी एडवरटाइजिंग भी करनी होती है ताकि आपके सॉफ्टवेयर तथा मोबाइल ऐप को लोग जानें।
यह पूरा पोस्ट पढ़ने के बाद आप जानते होंगे दोस्तों के स्टॉक ब्रोकर बनने के काफी रजिस्ट्रेशन और बहुत सारे पैसे की आवश्यकता होती हैं
मैं आपको बता दो दोस्तों यदि आप एक स्टॉक ब्रोकर बनना चाहते हैं तो आपके पास कम से कम 4, 5 करोड़ रूपया होना चाहिए तब जाकर आप एक स्टॉक ब्रोकर बन सकते हैं
स्टॉक ब्रोकर बनने के बाद कमाई
स्टॉक ब्रोकर की कमाई कोई फिक्स कमाई नहीं होती है जितने कस्टमर आप से जुड़ेंगे आपको उतना ही फायदा होता है आपकी पूरी कमाई कस्टमर के ऊपर ही निर्भर करता है क्योंकि कस्टमर की ट्रेडिंग का जो tex लेते हैं वही आपकी कमाई होती हैं।
आशा करता हूं दोस्तों कि हमारे द्वारा लिखी हुई या पोस्ट आपको पसंद आई होगी तथा आपको इसके बारे में शुरू से लेकर अंत तक जानकारी मिली होगी यदि आपको यह पोस्ट पसंद आया है तो इसे अपने दोस्तों में शेयर करें तथा इसके संबंधित आपके पास कोई राय हो तो आप हमें कमेंट बॉक्स में दे सकते हैं।
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