गौतम अडानी की सफलता की कहानी
अम्बानी के बाद अडानी का दूसरा सबसे धनी परिवार है, लेकिन अन्य बिज़नेस टायकून के विपरीत, अडानी ने अपने पिता से भाग्य प्राप्त नहीं किया। इसके बजाय, उन्होंने अपनी किस्मत बदलने के लिए कड़ी मेहनत की। अगर आप गौतम अडानी की सफलता की कहानी देखते हैं, तो इससे उनकी दृढ़ इच्छाशक्ति, व्यापार कौशल और कड़ी मेहनत का पता चलता है, जिसका इस्तेमाल उन्होंने अपनी सफलता की सीढ़ी बनाने के लिए किया था।
एक कॉलेज ड्रॉपआउट से एक बिजनेस टाइकून के लिए, उसकी कहानी उल्लेखनीय से कम नहीं है
अडानी, एक बच्चे के रूप में, उद्यमी लक्षणों का प्रदर्शन किया। उन्होंने कर्रिएर शुरू करने के लिए दूसरे वर्ष के बाद कॉलेज छोड़ दिया। वह अपने माता-पिता के सात बच्चों में से एक थे, जो आर्थिक रूप से कमजोर थे। उनके पिता एक कपड़ा व्यापारी थे।
अडानी हीरे की कुंडी का काम शुरू करने के लिए मुंबई चले गए। उनकी पहली नौकरी 2-3 साल तक चली, लेकिन तब तक, उन्होंने व्यापार की बारीकियों को समझ लिया था और यह बाजार के साथ कैसे बदल गया था। व्यापार के बारे में उनके ज्ञान ने उन्हें हीरे की दलाली लगाने में मदद की। यह पहला व्यवसाय था जिसमें उन्होंने अपने हाथों की कोशिश की। उनके जीवन का अगला ब्रेक तब आया जब उनके भाई महाशूख अडानी ने उन्हें अपने द्वारा शुरू की गई प्लास्टिक फैक्ट्री में काम करने के लिए वापस अहमदाबाद बुलाया। गौतम फर्म में शामिल हो गया, और जल्द ही वह भारत को पॉलीविनाइल क्लोराइड या पीवीसी आयात कर रहा था। इस घटना ने वैश्विक व्यापार क्षेत्र में उनके प्रवेश को चिह्नित किया।
अडानी एक ऐसे आदमी है जिसे एक अवसर की पहचान होती है जब वह आपके दरवाजे पर दस्तक देता है
दूरदर्शिता और अवसर को जब्त करने की क्षमता वे गुण हैं जो एक सफल व्यक्ति को द्रव्यमान से अलग करते हैं। अडानी इसका जीता जागता सबूत हैं। उन्होंने उन अवसरों की पहचान की जब भारतीय अर्थव्यवस्था ने भूमंडलीकरण के दरवाजे खोले। यह उनके लिए आशीर्वाद साबित हुआ। स्थिति का उपयोग करते हुए, उन्होंने नए बाजार पर कब्जा करने के लिए तेजी से विविधता लाई।
अडानी ने 1988 में अडानी समूह की स्थापना की, लेकिन उनकी कंपनी शुरू में कृषि उत्पादों और बिजली पर कारोबार कर रही थी। लेकिन, 1991 में यह बदल गया कि भारतीय अर्थव्यवस्था के नए युग की शुरुआत हो गई, अडानी ने बाजार की मांग में बदलाव को देखते हुए विविधता लाने का अवसर लिया। धीरे-धीरे अडानी समूह एक समूह के रूप में उभरा, जो बिजली उत्पादन और प्रसारण, कोयला व्यापार और खनन, गैस वितरण, तेल और गैस की खोज, बंदरगाहों और एसईजेड में विविधता ला रहा है।
अडानी ने समाज को वापस देने में विश्वास किया
एक शूटिंग स्टार अमीर लोग कहाँ निवेश करते हैं की तरह अपनी सफलता के बावजूद, गौतम हमेशा अपनी जड़ों से जुड़े रहे। अपनी पत्नी, प्रीति अदानी, पेशे से दंत चिकित्सक और अडानी फाउंडेशन के प्रबंध ट्रस्टी के साथ, वह कई परोपकारी गतिविधियों में लगी हुई है। ट्रस्ट शिक्षा, सामुदायिक स्वास्थ्य, ग्रामीण अवसंरचना विकास, स्थायी आजीविका उत्पादन और अधिक सुधार लाने में काम करता है।
उनके जीवन का पाठ सभी के लिए
अगर हम उनके जीवन पर गौर करें, तो सबसे ऊपर गौतम की यात्रा आसान नहीं है। वह एक स्व-निर्मित अरबपति हैं। और इस पद को हासिल करने के लिए उन्हें सबकी तरह संघर्ष करना पड़ा। लेकिन वह एक दूरदर्शी व्यक्ति भी थे जिसने शुरुआती जीवन में अवसर आने पर अवसरों को जब्त करना सीख लिया था। यह वे पाठ है जो गौतम अडानी के जीवन से सीख सकते हैं।
एक अवसर की क्षमता को समझना महत्वपूर्ण है
अडानी एक दूरदर्शी हैं। उन्होंने महसूस किया कि अर्थव्यवस्था के विकास के लिए बंदरगाह कितने महत्वपूर्ण हैं। अडानी ने व्यापारी बंदरगाहों की क्षमता को समझा और खंड पर एकाधिकार स्थापित करने में सफल रहे। आज, वह भारत में सबसे बड़ा बंदरगाह मालिक है और देश और विदेश में नए बंदरगाहों का निर्माण जारी है।
विविधीकरण कुंजी है
शुरू से ही, उन्होंने बाजार बदलते ही अपने व्यवसाय में विविधता लाने पर ध्यान केंद्रित किया। कृषि और बिजली उत्पादों के निर्यात से शुरू करके, उन्होंने अपने व्यवसाय को बिजली उत्पादन और वितरण, तेल और गैस की खोज, रसद, बंदरगाह विकास जैसे अन्य क्षेत्रों में विविधता प्रदान की। जब भारत का आर्थिक दर्शन बदल गया, वह जल्दी ही व्यवसाय के अवसरों को पहचान लेते थे
उल्लेखनीय बातचीत और बातचीत कौशल ए - प्लस है
उन्होंने एक बार तत्कालीन रेल मंत्री, नीतीश कुमार से मुलाकात की और उन्हें रेलवे को बंदरगाहों को एकीकृत करने के महत्व को देखने के लिए आश्वस्त किया। उन्होंने पोर्ट-रेल लिंकेज नीति तैयार करने के लिए मंत्री को सफलतापूर्वक आश्वस्त किया। नीति ने बंदरगाह के मालिकों को निकटतम रेलहेड्स के लिए अपने स्वयं के रेल ट्रैक चलाने की अनुमति दी।
सीखना कभी भी बंद न करें
उन्होंने शीर्ष व्यावसायिक स्कूलों से परिष्कृत प्रशिक्षण नहीं लिया। उन्होंने व्यापार की चाल को देखकर व्यापार सीखा, जिसने उन्हें मांग और आपूर्ति का महत्व सिखाया। वह एक उत्सुक पर्यवेक्षक है जो समझता है कि आगे की मांग कहां पैदा हो सकती है और शुरुआती अवसर को जब्त करने में विश्वास करता है।
अडानी ने अपने बंदरगाह में 2 किमी लंबी हवाई पट्टी का निर्माण किया, जो बड़े विमानों को पूरा करने में सक्षम था। यह हवाई पट्टी के लिए भारत का एकमात्र बंदरगाह है। उसके पास उच्च मूल्य, हीरे और दवा जैसे कम मात्रा के सामान के परिवहन का प्रबंधन करने के लिए इसे पूरी तरह कार्यात्मक बनाने की योजना है।
अपने मूल्यों पर अटल रहें
उन्हें एक मजबूत मूल्यों और एक अटूट रवैये के लिए जाना जाता है। उन्होंने कई मौकों पर टिप्पणी की कि 'सरकार के साथ काम करने का मतलब यह नहीं है कि आपको रिश्वत देनी होगी।
लंबी अवधि के मूल्य सृजन के लिए अपना ध्यान केंद्रित करें
उनकी मजबूत व्यापारिक समझ ने उन्हें दीर्घकालिक संभावनाओं और लाभ के लिए साथी उद्योगपतियों और प्रतियोगियों की मांग को समझने के महत्व का एहसास कराया। और उनकी सीखों ने अंततः उन्हें एकाधिकार स्थापित करने में मदद की।
अडानी को 2019 में इंडिया टुडे द्वारा भारत में तीसरा सबसे उल्लेखनीय व्यक्तिगत स्थान दिया गया। उनका जीवन इस बात की कहानी है कि कैसे फोकस और दृढ़ संकल्प एक आदमी को अपनी पीढ़ी के सबसे सफल उद्योगपतियों में से एक बनने के लिए अपनी विनम्र शुरुआत को बदलने में मदद कर सकता है।
कभी-कभी सफल व्यक्तित्व की कहानियों को पढ़ने से हमें जीवन में वह दिशा मिलती है जो हमने मांगी थी।
Warren Buffett tips : अरबपति वॉरेन बफेट से जानिए अमीर बनने के टिप्स, आप भी कर सकते हैं अमल
Warren Buffett tips : दुनिया में बहुत से लोग अमीर बने हैं लेकिन वॉरेन बफेट एक मात्र व्यक्ति है जिन्होंने निवेश के बल पर अमीर बने हैं। जानिए उनके अमिर बनने के टिप्स।
Warren Buffett tips : हर इंसान की ख्वाहिश होती अमीर बनने की और ज्यादा से ज्यादा पैसे कमाने की लेकिन कई तरह की तरकीब लगाने के बाद वे सफल नहीं हो पाते हैं। करोड़ों में कोई एक उस मुकाम को हासिल कर लेता है। फिर दुनिया उसकी दीवानी हो जाती है। उन्हीं में एक हैं वॉरेन बफेट। जिन्होंने बहुत कम से शुरुआत करके अमेरिका के टॉप 10 अरबपतियों में शामिल हो गए। वॉरेन बफे की एक दिन की एवरेज आय करीब 37 मिलियन डॉलर है। ये ऐसे अरबपति हैं जिनके बताए टिप्स से आप भी आसानी से धनवान बन सकते हैं।
आय के सिर्फ एक स्रोत पर निर्भर नहीं रहना चाहिए
वॉरेन बफेट की सबसे फेमस निवेश टिप्स है कि लोगों को आय के अनेक रास्ते तलाशने चाहिए यानी एक से अधिक स्रोत का निर्माण करना चाहिए। लोगों को एक कमाई पर निर्भर नहीं रहना चाहिए। चाहे आपके पास स्थाई नौकरी ही क्यों ना हो। उनका कहना है सारा निवेश एक ही जगह यानी एक ही कंपनी या व्यवसय में निवेश न करें। किभी परेशानी होने पर पूरा निवेश फंस जाएगा। न तो पूरा निवेश बैंकों की स्कीम में करें और न ही पूरा निवेश पोस्ट ऑफिस स्कीम में करें। शेयर बाजार और म्यूचुअल फंड में सारा निवेश न करें।
निवेश उतना ही करें, ताकि हमेशा कुछ पैसा बचा रहे
वॉरेन बफेट ने कहा कि अगर शेयर बाजार में निवेश करते हैं तो अपने आपको शांत बनाए रखें क्योंकि इसमें उतार चढ़ावा होते रहते हैं। इसमें नुकसान भी हो सकता है। जल्दबाजी में शेयर ना बेचें। बेहतर मौके की तलाश करें। शेयर बाजार या म्यूचुअल फंड में निवेश पर वॉरेन बफे के टिप्स बहुत कारगर साबित हुए हैं। वॉरेन बफे का कहना है कि निवेश उतना ही करें, जिसके बाद आपके पास कुछ पैसा भी बचा रहे। खराब समय में निवेश से पैसा ना निकलना पड़े। इसलिए अपने पास कुछ कैश हमेशा रखें। वॉरेन बफे का कहना है कैश इज किंग।
हमेशा कुछ नया अमीर लोग कहाँ निवेश करते हैं सीखने की इच्छा पालें
वॉरेन बफे के मुताबिक अगर अमीर लोग सिर्फ किस्मत के भरोसा नहीं करते हैं वे अपने भरोसे बनना चाहते हैं। इसके लिए कुछ आदतें भी बदलनी चाहिए। इनमें पैसे खर्च करने से लेकर निवेश तक की आदतें शामिल हैं। वे कहते हैं कि हमेशा कुछ नया सीखने की इच्छा आपको आसानी से अमीर बनने में सहायता कर करती है। भविष्य की जरूरतों को समझें। मूल्य और कीमत का अंतर समझें। कीमत वह है जो आप चुकाते हैं लेकिन मूल्य वह चीज है, जो बदले में आपको मिलती है। मूल्य के पीछे भागें, कीमत के पीछे नहीं। हमेशा मूल्यवान कंपनियों का चयन करें। चाहे ज्यादा कीमत क्यों ना चुकानी पड़े।
टाइम मैनेजमेंट जरूरी
वॉरेन बफे के अनुसार हर व्यक्ति के जीवन में प्रतिदिन 24 घंटे ही मिलते हैं, अब यह आप निर्भर है कि आप उसका इस्तेमाल कैसे करते हैं? किस चीज या काम पर कितना वक्त देना है। यह टाइम मैनेजमेंट लोगों को आगे बढ़ाता है। उनका कहा कि मैं कोई भी चीज नहीं फेंकता, जब तक वह कम से कम 20-25 साल पुराना ना हो जाए। समय सबसे ज्यादा कीमती होता है।
निवेश से पहले लक्ष्य तय करें
वॉरेन बफे का कहना है कि निवेश शुरू करने से पहले आपके पास एक लक्ष्य होना चाहिए, जिससे आप प्लानिंग तैयार कर सकें। बिना लक्ष्य के निवेश करने में फायदा होने की संभावना कम होती है। निवेश के नतीजों के लिए जल्दबाजी न रहें, इंतजार करें। वॉरेन बफेट 90 साल के हो गए हैं। उनके द्वारा दिए दशकों पहले के निवेश टिप्स आज भी कारगर हैं। वॉरेन बफे दिन का करीब 80 प्रतिशत समय किताबें पढ़ने में बिताते हैं।
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अमीरी, सुख, समृद्धि
हमें यह समझना चाहिए कि परिवर्तन दिमाग से शुरू होते हैं, या यूं कहें कि दिमाग में शुरू होते हैं। हम इक्कीसवीं सदी में प्रवेश कर चुके हैं और सत्रहवीं सदी की मानसिकता से हम देश का विकास नहीं कर सकते। नई स्थितियों में नई समस्याएं हैं और उनके समाधान भी पुरातनपंथी नहीं हो सकते। यदि हमें गरीबी, अशिक्षा से पार पाना है और देश का विकास करना है तो हमें इस मानसिक यात्रा में भागीदार होना पड़ेगा जहां हम नए विचारों को आत्मसात कर सकें और ज़माने के साथ कदम से कदम मिलाकर चल सकें। इस योजना पर काम करने से आप सिर्फ अमीर दिखेंगे ही नहीं, सचमुच के अमीर हो जाएंगे…
अमीरी एक ऐसा मानवाधिकार है जिसकी चाहत हर किसी को है। इनसान ही नहीं, दुनिया का कोई भी जीव दुख नहीं उठाना चाहता, हम तो फिर इनसान हैं। हम में से कोई भी गरीबी में और अभावों में नहीं जीना चाहता। पैसे से चाहे हर सुख न खरीदा जा सकता हो, पर बहुत से सुख पैसे से खरीदे जा सकते हैं, और यह भी सच है कि धन का अभाव बहुत से दुखों का कारण बन जाता है, यहां तक कि गरीबी कई बार आत्महत्याओं तक का कारण बन जाती है। फिर कौन चाहेगा कि वह अभावों भरा जीवन जिए या फिर जीवन भर दूसरों की कृपा का मोहताज बना रहे? अमीरी एक बुनियादी मानवाधिकार है, पर कोई आपको इसे तश्तरी में पेश नहीं करेगा। इसके लिए स्वयं आपको ही प्रयत्न करना होगा और जोखिम भी उठाना पड़ेगा। अमीरी का अधिकार मांगने से नहीं मिलता, इसे कमाना पड़ता अमीर लोग कहाँ निवेश करते हैं है। भारतीय आम आदमी के अमीर बनने में दो बड़ी अड़चनें हैं। पहली अड़चन है सही ज्ञान का अभाव, और दूसरी अड़चन है गलत अथवा अस्वस्थ नज़रिया। अक्सर हम गरीब लोगों को अमीरों की आलोचना करते हुए या उनका मजाक उड़ाते हुए और यहां तक कि उन पर दया दिखाते हुए पाते हैं। भारतवर्ष मूलतः एक धर्म-परायण देश है और आम आदमी धर्म-भीरू है। धर्म की हमेशा से संतोषी जीवन जीने की सीख रही है। इस सीख की आड़ में हमने आलस्य को अपना लिया और अपनी गलतियां स्वीकार करने के बजाय गरीबी को महिमामंडित करना आरंभ कर दिया। अमीरी से घृणा करके और अमीरों को शोषक मानकर हम प्रगति नहीं अमीर लोग कहाँ निवेश करते हैं कर सकते। अब हम जानते हैं कि नई अर्थव्यवस्था के इस युग में ज्ञान का पूंजी बनाकर धन-संपदा कमाना कोई अजूबा नहीं है। अगर हम सिर्फ इस तथ्य को समझ लें तो हम गरीबी के कारणों का विश्लेषण करके अमीरी की ओर मजबूत कदम बढ़ा सकते हैं। एक और जानने योग्य तथ्य यह है कि भारतवर्ष एक गरीब देश है, लेकिन यहां सोने की खरीद सबसे ज्य़ादा होती है। शादियों के सीज़न में सोने का भाव तेज़ी से चढ़ जाता है। पिछले कुछ सालों तक शादी का सीज़न बीतने पर सोने का भाव धीरे-धीरे नीचे आ जाता था, लेकिन अब जैसे आम की जगह माज़ा ने ले ली है और हम सर्दियों में भी कोक पीने लग गए हैं, वैसे ही सोना भी बारहमासी हो गया है और इस साल सोने के दाम घटने के बजाय बढ़ते ही नज़र आए।
इसके बावजूद सोने की खरीद की रफ्तार में कोई कमी नहीं दिखी। ऐसे में यह जानकर किसे आश्चर्य होगा कि भारतवर्ष में स्वर्ण की मात्रा 20 हज़ार टन तक पहुंच गई है। स्वर्ण की खरीद एक भावनात्मक सवाल बन गया है। जिसके पास जितना सोना होगा, वह उतना ही सुरक्षित महसूस करेगा, खुद को अमीर मानेगा। यह बचत का एक बड़ा साधन है। रुपए का अवमूल्यन हो रहा है, लेकिन सोने का रेट बढ़ रहा है। इसलिए जनता में सोने के प्रति लगाव कम नहीं हो रहा है। समस्या यह है कि हम सोने की जमाखोरी करते हुए अपने धन का दुरुपयोग कर रहे हैं क्योंकि यही धन अगर किसी अन्य बचत अथवा निवेश में लगता तो हमारी आर्थिक अवस्था कहीं ज्य़ादा सबल होती। सच तो यह है कि हम सोने को लेकर सचमुच सो रहे हैं। दरअसल बचत, निवेश और पूंजी निर्माण को लेकर हम अब भी पुरानी अर्थव्यवस्था के हिसाब से चल रहे हैं। बदलते ज़माने की जरूरतों को समझे बिना हम पुरानी आदतों से चिपके हुए हैं। हम बैलगाड़ी पर बैठकर वर्तमान युग की सुपर सोनिक रफ्तार का मुकाबला करना चाह रहे हैं। बहुत से लोग अमीर होते हैं, पर वे अमीर नहीं दिखते, बहुत से लोग गरीब होते हैं पर वे गरीब नहीं दिखते, और बहुत से मध्यवर्गीय लोग वास्तविक अमीरी को जाने बिना अमीर दिखने की कोशिश में जुट जाते हैं और इस कोशिश में अक्सर कर्ज के जाल में फंस जाते हैं। ऐसे लोग यदि प्रमोशन हो जाए या ज्यादा बढि़या तनख्वाह वाली नई नौकरी मिल जाए या अपना बिज़नेस अच्छा चल जाए तो आपको विलासिता की वस्तुएं जुटाने और अमीर दिखने के बजाय ऐसे निवेश करने चाहिएं जो आपके लिए अतिरिक्त आय का स्रोत बन सकें। यहां निवेश से मेरा आशय म्यूचुअल फंड या शेयरों की खरीददारी से नहीं है।
यदि आपको इनकी बारीक जानकारी नहीं है तो मैं आपको म्यूचुअल फंड या शेयर बाज़ार में निवेश की सलाह नहीं दूंगा। यह निवेश ऐसे काम में होना चाहिए जहां आपकी व्यक्तिगत उपस्थिति आवश्यक न हो। ऐसे निवेश के कई तरीके हैं। आप कोई छोटा-सा घर खरीद कर किराए पर उठा सकते हैं, रिक्शा, ऑटो-रिक्शा, कार आदि खरीद कर किराए पर दे सकते हैं। कोई ऐसा व्यवसाय कर सकते हैं जहां आपके कर्मचारी ही सारा काम संभाल लें और आपको उस व्यवसाय से होने वाला लाभ मिलता रहे। पुस्तकें लिख सकते हैं जिसकी रॉयल्टी मिलती रहे, मकान, दुकान या कार्यालय पर मोबाइल कंपनी का टावर लगवा सकते हैं जिसका किराया आता रहे। इससे होने वाली आय पेंशन की तरह है जहां काम भी नहीं करना पड़ता और लगातार आय का साधन भी बन जाता है। यह आपकी समृद्धि ओर छोटा-सा पहला कदम है। धीरे-धीरे योजनाबद्ध ढंग से ऐसे निवेश बढ़ाते रहेंगे तो आपकी अतिरिक्त आय इतनी बढ़ जाएगी कि इस बढ़ी आय से कार, मकान या छुट्टियों पर किए जाने वाले खर्च के लिए आपको बैंक से कर्ज़ नहीं लेना पड़ेगा, कर्ज़ पर ब्याज नहीं देना पड़ेगा और कर्ज़ न चुका पाने का डर भी नहीं सताएगा। इसके बावजूद आपको पैसे की परेशानी से नहीं जूझना पड़ेगा। जब समस्याएं नई हों तो समाधान भी नए होने चाहिएं, पुराने विचारों से चिपके रहकर हम नई समस्याओं का समाधान नहीं कर सकते।
ज़माना नया है, दुनिया बदल गई है और हर पल बदल रही है। हमें अपने आपको नए ज़माने के लिए तैयार करना है। इसके लिए हमें नए विचारों का स्वागत करना होगा, समस्याओं का हल नए सिरे से खोजना होगा और स्वयं को शिक्षित करना होगा। यह परिवर्तन की एक ऐसी मानसिक यात्रा है जिस पर हम खुद ही आगे बढ़ेंगे। हमें यह समझना चाहिए कि परिवर्तन दिमाग से शुरू होते हैं, या यूं कहें कि दिमाग में शुरू होते हैं। हम इक्कीसवीं सदी में प्रवेश कर चुके हैं और सत्रहवीं सदी की मानसिकता से हम देश का विकास नहीं कर सकते। नई स्थितियों में नई समस्याएं हैं और उनके समाधान भी पुरातनपंथी नहीं हो सकते। यदि हमें गरीबी, अशिक्षा से पार पाना है और देश का विकास करना है तो हमें इस मानसिक यात्रा में भागीदार होना पड़ेगा जहां हम नए विचारों को आत्मसात कर सकें और ज़माने के साथ कदम से कदम मिलाकर चल सकें। इस योजना पर काम करने से आप सिर्फ अमीर दिखेंगे ही नहीं, सचमुच के अमीर हो जाएंगे। यदि आपको लाटरी से, ‘कौन बनेगा करोड़पति’ जैसे किसी शो से, अमीर जीवनसाथी से विवाह से या किसी अमीर रिश्तेदार की विरासत मिलने की उम्मीद नहीं है तो असली अमीरी और स्थायी समृद्धि के लिए आपको इसी योजना पर काम करना चाहिए। स्थायी समृद्धि का यही एक मंत्र है जो विश्वसनीय भी है और अनुकरणीय भी। इसी से अमीरी आएगी, इसी से समृद्धि आएगी और यही सुख का कारण बनेगा।
देश में अगली क्रांति सेवा क्षेत्र में हो सकती है : रघुराम राजन सवाईमाधोपुर
नेशनल डेस्क : राहुल गांधी की ‘भारत जोड़ो यात्रा' में बुधवार को शामिल हुए भारतीय रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने कहा कि देश में अगली क्रांति सेवा क्षेत्र में हो सकती है। उन्होंने यह भी कहा कि देश में स्थिरता, उत्सर्जन में एक नई तरह की हरित क्रांति भी हो रही है और भारत जलवायु परिवर्तन की चुनौती को देखते हुए पवन चक्कियां बनाने, इमारतों को हरा-भरा बनाने में सबसे आगे हो सकता है। रघुराम राजन राहुल गांधी से बातचीत कर रहे थे। राहुल गांधी की बातचीत का एक वीडियो सोशल मीडिया पर अपलोड किया गया था।
राजन के साथ बातचीत में गांधी ने भारत, अमेरिका और अन्य देशों में मौजूदा आर्थिक परिस्थितियों, छोटे उद्योगों के सामने चुनौतियों, आर्थिक असमानता के बारे में उनके विचार पूछे। देश में चार-पांच उद्योगपति अमीर हो रहे हैं, बाकी देश के लोग पीछे हैं और उद्योगपतियों के एक समूह का एक अलग 'हिंदुस्तान' है, जबकि किसानों और अन्य लोगों का एक और 'हिंदुस्तान' है, गांधी की इस बात पर कि राजन ने कहा कि यह एक बड़ी समस्या है लेकिन यह पूंजीपतियों के बारे में नहीं है।
उन्होंने कहा अमीर लोग कहाँ निवेश करते हैं कि उच्च मध्य वर्ग की आय इसलिए बढ़ी क्योंकि वे महामारी के दौरान घर से काम कर सकते थे लेकिन कारखानों में काम करने वालों की कमाई कम हो गई क्योंकि वे कमा नहीं पाए। उन्होंने कहा, “यह विभाजन महामारी में बढ़ गया। अमीरों को कोई परेशानी नहीं थी, निम्न वर्ग को राशन और अन्य चीजें मिलीं लेकिन निम्न मध्यम वर्ग को बड़ा नुकसान हुआ। नौकरियां नहीं थीं, बेरोजगारी बढ़ी।'' उन्होंने सुझाव दिया कि इस तबके के बारे में विचार करते हुए नीति बनानी चाहिए।
गांधी ने कहा कि आजादी के बाद हरित क्रांति हुई, उसके बाद श्वेत क्रांति हुई और फिर कंप्यूटर क्रांति हुई तो अगली क्रांति क्या हो सकती है। इसका जवाब देते हुए राजन ने कहा कि सेवा क्षेत्र की क्रांति अगली क्रांति हो सकती है। उन्होंने कहा, “हम अमेरिका गए बिना यहां से अमेरिका के लिए काम कर सकते हैं… जैसे डॉक्टर अमेरिका को टेलीमेडिसिन सेवाएं प्रदान कर सकते हैं और बहुत सारी विदेशी मुद्रा अर्जित कर सकते हैं। हमारा सेवा निर्यात हमें निर्यात में महाशक्ति बना देगा।'' दूसरी उन्होंने कहा एक नई तरह की हरित क्रांति है।
राघुराम राजन ने कहा, ‘‘अगर हम उस पर जोर देते हैं, तो हम पवन चक्कियों के निर्माण में सबसे आगे हो सकते हैं और अपनी इमारत को हरा-भरा बना सकते हैं। जलवायु परिवर्तन से सबसे ज्यादा नुकसान दक्षिण एशिया में होगा। आप पहले ही बांग्लादेश और पाकिस्तान को पीड़ित देख चुके हैं। भारत भी पीछे नहीं है। हम एक ही क्षेत्र पर कब्जा करते हैं। इसलिए हमें बहुत मेहनत करनी होगी।'' उन्होंने कहा, "हम पवनचक्की, सौर ऊर्जा बना सकते हैं, इसकी भारी मांग है। लेकिन हम नवोन्मेष भी कर सकते हैं और मुझे लगता है कि इसमें काफी संभावनाएं हैं, हमें भविष्योन्मुखी सोच रखनी चाहिए।''
भारत की आर्थिक स्थिति पर उन्होंने कहा कि अगला साल मौजूदा साल की तरह मुश्किल भरा रहने वाला है। उन्होंने कहा कि दुनिया में विकास धीमा होने जा रहा है और भारत पर भी इसकी मार पड़ने वाली है। उन्होंने कहा, “निर्यात थोड़ा धीमा हो रहा है। भारत की मुद्रास्फीति की समस्या भी विकास के लिए नकारात्मक होने जा रही है।" उन्होंने कहा कि महामारी समस्या का हिस्सा थी और महामारी से पहले अर्थव्यवस्था धीमी हो रही थी। उन्होंने कहा "हमने वास्तव में ऐसे सुधार नहीं किए हैं जो विकास उत्पन्न करेंगे।"
रघुराम राजन ने कहा कि बेरोजगारी एक बड़ी समस्या है और निजी क्षेत्र को आगे बढ़ाना होगा क्योंकि सभी को सरकारी नौकरी नहीं मिल सकती। उन्होंने कहा कि अगर तकनीकी हस्तक्षेप बढ़ाया जाए तो कृषि क्षेत्र में नौकरियां सृजित की जा सकती हैं। उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि छोटे और मध्यम स्तर के उद्योगों को बड़ा होने के लिए एक अनुकूल वातावरण और कारकों की आवश्यकता है। शेयर बाजार के बारे में कम जानकारी वाले लोगों द्वारा निवेश पर राजन ने कहा कि उपभोक्ता संरक्षण होना चाहिए ताकि वे अपने अधिकारों को जान सकें। उन्होंने राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा की सराहना करते हुए कहा कि 'भारत को जोड़ना है'। गांधी ने कहा कि जब दुनिया में हर तरफ नफरत हो तो भारत रास्ता दिखा सकता है। उन्होंने कहा "यह हमारी संस्कृति, इतिहास और ताकत है।"
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