नियमानुसार यह पूरी तरह से गलत है। चौंकाने वाली बात यह है कि जौनपुर से चलकर हंडिया बस पहुंच जाती है। करीब 70 किलोमीटर से अधिक का सफर तय करने के बाद हादसा होता है, लेकिन इससे पहले न तो प्रयागराज-जौनपुर सीमा पर बस की जांच की गई और न ही किसी थाना के पास।
RBI Monetary Policy: UPI में आया नया फीचर, IFSC में सोने पर हेजिंग को मिली अनुमति, जानिए क्या है खास फैसले
By: ABP Live | Updated at : 07 Dec 2022 06:34 PM (IST)
आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ( Image Source : PTI File Photo )
UPI Changes To Gold Hedging Rules : भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने आज अपनी मॉनिटरी पॉलिसी का एलान किया है. आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कई बड़े एलान किये है. इसमें मुख्य रूप से जोखिम प्रबंधन क्या है? रेपो रेट में 0.35 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है. जिसके बाद रेपो रेट बढ़कर 6.जोखिम प्रबंधन क्या है? 25 फीसदी पर पहुंच गया है. साथ ही IFSC में सोने की कीमतों के जोखिम के प्रति जोखिम प्रबंधन क्या है? हेजिंग की अनुमति दी है. यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस (UPI) प्लेटफॉर्म पर 'सिंगल-ब्लॉक-एंड-मल्टीपल डेबिट्स' फीचर के माध्यम से ग्राहकों को लेन-देन करते समय आसानी होगी. RBI ने इस तरह के कई बड़े ऐलान किये है, जिनका असर आम जनता पर सीधे तौर पर पड़ेगा. हम इस खबर में आपको ऐसे कुछ फैसले के बारे में बताने जा रहे है.
सवालों के घेरे में स्कूल, आखिर इतनी लंबी दूरी का कैसे लिया रिस्क
हंडिया में हुए हादसे को लेकर स्कूल प्रबंधन की भी लापरवाही सामने आई है. कहा जा रहा है कि प्रबंधन को बच्चों की क्षमता के अनुसार दो बस करना चाहिए था. मगर एक ही बस में सभी को मैनेज किया गया था. ऐसा करके छात्र-छात्राओं और शिक्षक, जोखिम प्रबंधन क्या है? जोखिम प्रबंधन क्या है? शिक्षिकाओं की जान जोखिम में डाली गई थी. स्कूल के प्रिंसिपल ने शायद पैसा बचाने की खातिर एक बस का इंतजाम किया था. बच्चों पर खर्च अधिक न पड़े इसलिए इतना बड़ा रिस्क उठा लिया. अगर दो बस की व्यवस्था होती जोखिम प्रबंधन क्या है? तो शायद हादसा न होता और न ही छात्रों की जान जाती. आइये आपको बताते आखिर कहा क्या हुई थी मिस्टेक.
प्रयागराज ब्यूरो । हादसे की तफ्तीश में जुटी पुलिस ने भी माना कि 41 सीटर बस में दो गुना सवारी बैठाई गई थी।
आपदा प्रबन्धन
आपदा के खतरे जोखिम एवं शीघ्र चपेट में आनेवाली स्थितियों के मेल से उत्पन्न होते हैं। यह कारक समय और भौगोलिक – दोनों पहलुओं से बदलते रहते हैं। जोखिम प्रबंधन के तीन घटक होते हैं। इसमें खतरे की पहचान, खतरा कम करना (ह्रास) और उत्तरवर्ती आपदा प्रबंधन शामिल है। आपदा प्रबंधन का पहला चरण है खतरों की पहचान। इस अवस्था पर प्रकृति की जानकारी तथा किसी विशिष्ट अवस्थल की विशेषताओं से संबंधित खतरे जोखिम प्रबंधन क्या है? की सीमा को जानना शामिल है। साथ ही इसमें जोखिम के आंकलन से प्राप्त विशिष्ट भौतिक खतरों की प्रकृति की सूचना भी समाविष्ट है।
इसके अतिरिक्त बढ़ती आबादी के प्रभाव क्षेत्र एवं ऐसे खतरों से जुड़े माहौल से संबंधित सूचना और डाटा भी आपदा प्रबंधन का अंग है। इसमें ऐसे निर्णय लिए जा सकते हैं कि निरंतर चलनेवाली परियोजनाएं कैसे तैयार की जानी हैं और कहां पर धन का निवेश किया जाना उचित होगा, जिससे दुर्दम्य आपदाओं का सामना किया जा सके। इस प्रकार जोखिम प्रबंधन तथा आपदा के लिए नियुक्त व्यावसायिक मिलकर जोखिम भरे क्षेत्रों के अनुमान से संबंधित कार्य करते हैं। ये व्यवसायी आपदा के पूर्वानुमान के आंकलन का प्रयास करते हैं और आवश्यक एहतियात बरतते हैं।
सौर ऊर्जा
एसजेवीएन ने दिनांक 31.03.2017 को गुजरात के चारंका सौर पार्क में अपनी पहली जोखिम प्रबंधन क्या है? परियोजना की कमीशनिंग के साथ सौर ऊर्जा उत्पादन में विविधीकरण किया है I आज की तारीख में, कुल 81.3 मेगावाट की स्थापित क्षमता वाली जोखिम प्रबंधन क्या है? 3 सौर परियोजनाएं प्रचालन में हैं।
विद्युत पारेषण
एक विद्युत उत्पादन कंपनी से एसजेवीएन ने अन्य कंपनियों के साथ भागीदारी में क्रॉस बार्डर इंडो-नेपाल पारेषण लाईन डालने के साथ विद्युत पारेषण के क्षेत्र में भी प्रवेश किया है। ट्रांसमिशन लाईन के भारतीय किनारे की ओर मुजफ्फरपुर से टीएलपी नेपाल कनेक्शन बिन्दु तक 128 कि.मी. लंबी टि्वन मूस 400 केवी की डी/सी लाईन की स्थापना के लिए इस उद्देश्य हेतु गठित क्रॉस बार्डर ट्रांसमिशन लाईन के भारतीय भाग (89 कि.मी. लंबी) के निष्पादन के लिए एसजेवीएन एक भागीदार तथा परामर्शक है। यह म
सवालों के घेरे में स्कूल, आखिर इतनी लंबी दूरी का कैसे लिया रिस्क
हंडिया में हुए हादसे को लेकर स्कूल प्रबंधन की भी लापरवाही सामने आई है. कहा जा रहा है कि प्रबंधन को बच्चों की क्षमता के अनुसार दो बस करना चाहिए था. मगर एक ही बस में सभी को मैनेज किया गया था. ऐसा करके छात्र-छात्राओं और शिक्षक, शिक्षिकाओं की जान जोखिम में डाली गई थी. स्कूल के प्रिंसिपल ने शायद पैसा बचाने की खातिर एक बस का इंतजाम किया था. बच्चों पर खर्च अधिक न पड़े इसलिए इतना बड़ा रिस्क उठा लिया. अगर दो बस की व्यवस्था होती तो शायद हादसा न होता और न ही छात्रों की जान जाती. आइये आपको बताते आखिर कहा क्या जोखिम प्रबंधन क्या है? हुई थी मिस्टेक.
प्रयागराज ब्यूरो । हादसे की तफ्तीश में जुटी पुलिस ने भी माना कि जोखिम प्रबंधन क्या है? 41 सीटर बस में दो गुना सवारी बैठाई गई थी।
अधिकतम अंक: 5
न्यूनतम अंक: 1
मतदाताओं की संख्या: 484