हां, और ब्रेंट क्रूड आज सुबह करीब 1.5 डॉलर गिरकर 81.21 डॉलर प्रति बैरल पर आ गया। इसके साथ ही WTI की दर में कच्चे तेल की कीमतों में भारी गिरावट भी आज करीब 76.09 डॉलर प्रति बैरल की कमी आई है। आपको यह भी बता दें कि पेट्रोल और डीजल की कीमतों में रोजाना सुबह 6 बजे बदलाव होता है। हां, नई दरें सुबह 6 बजे से ही लागू हो जाती हैं। पेट्रोल और डीजल की कीमत में एक्साइज ड्यूटी, डीलर कमीशन, वैट और अन्य चीजों को जोड़ने के बाद इसकी कीमत मूल कीमत से लगभग दोगुनी कच्चे तेल की कीमतों में भारी गिरावट हो जाती है। यही वजह है कि पेट्रोल और डीजल के दाम इतने ज्यादा नजर आ रहे हैं।
कच्चे तेल में भारी गिरावट, जानें अपने शहर में पेट्रोल डीजल रेट
ब्रेंट क्रूड की कीमतों में नरमी बनी हुई है। क्रूड गिरावट के साथ आज क्रूड 77 डॉलर प्रति बैरल के आस पास ट्रेड कर रहा है। कच्चे तेल की कीमतों में भारी गिरावट वहीं अमेरिकी क्रूड 71 से 72 डॉलर प्रति बैरल की रेंज में दिख रहा है। फिलहाल क्रूड इस साल के हाई 139 डॉलर से 45 फीसदी डिस्काउंट पर ट्रेड कर रहा है। दूसरी ओर ऑयल मार्केटिंग कंपनियों ने आज 12 दिसंबर 2022 को पेट्रोल और डीजल की कीमतों में कोई बदलाव नहीं किया है।
आज देश की राजधानी दिल्ली में 1 लीटर पेट्रोल की कीमत 96.72 रुपये है, जबकि 1 लीटर डीजल 89.62 रुपये का बिक रहा है। देश में सबसे महंगा पेट्रोल और डीजल राजस्थान के श्रीगंगानगर में है। जबकि सबसे सस्ता पेट्रोल कच्चे तेल की कीमतों में भारी गिरावट पोर्ट ब्लेयर में 84.10 रुपये प्रति लीटर है। इस साल अप्रैल के बाद से पेट्रोल और डीजल के दाम में बढ़ोतरी नहीं हुई है। हालांकि 22 मई को सरकार ने पेट्रोल पर केंद्रीय उत्पाद शुल्क में कमी का फैसला किया, जिससे केंद्र सरकार ने पेट्रोल डीजल को कीमत कम करके आम जन मानस को काफी राहत दिया है ।
आज आपके शहर में क्या है Petrol – Diesel के दाम, मिल रही हैं बड़ी राहत !
वैश्विक बाजार में लगातार दो दिनों तक तेजी के बाद कच्चे तेल की कीमतों में आज फिर भारी गिरावट देखने को कच्चे तेल की कीमतों में भारी गिरावट मिल रही है. जी हाँ, और इसी बीच आज यानी शुक्रवार की सुबह इसका असर सरकारी तेल कंपनियों द्वारा जारी पेट्रोल और डीजल के खुदरा रेट पर कच्चे तेल की कीमतों में भारी गिरावट भी देखने को मिल रहा है।
आपको बता दें कि यूपी और बिहार के कई शहरों में पेट्रोल और डीजल की कीमतों में कमी आई है। वहीं, तेल कंपनियों ने दिल्ली-मुंबई की तरह देश के चारों महानगरों में पेट्रोल-डीजल के दाम में कोई बदलाव नहीं किया है।
सरकारी तेल कंपनियों के मुताबिक, आज सुबह गौतमबुद्ध नगर जिले (नोएडा-ग्रेटर नोएडा) में पेट्रोल एक पैसे सस्ता होकर 96.64 रुपये लीटर पर पहुंच गया, जबकि डीजल की कीमतों में कोई बदलाव नहीं हुआ है। वहीं, लखनऊ में पेट्रोल 13 पैसे गिरकर 96.44 रुपये लीटर पर आ गया, जबकि डीजल 12 पैसे सस्ता होकर 89.64 रुपये प्रति लीटर पर बिक रहा है। इसके अलावा बिहार की राजधानी पटना में पेट्रोल 71 पैसे गिरकर 107.24 रुपये प्रति लीटर पर आ गया, जबकि डीजल 66 पैसे गिरकर 94.04 रुपये प्रति लीटर पर आ गया। अब अगर कच्चे तेल की बात करें तो पिछले 24 घंटे में इसकी कीमतों में बड़ी गिरावट देखने को मिली है।
33 रुपए सस्ता हुआ पेट्रोल-डीजल, लेकिन दाम क्यों नहीं घट रहे? कच्चा तेल 76 डॉलर के एक साल के निचले स्तर पर पहुंच गया
भले ही कच्चे तेल की कीमतें बहुत नीचे चली गई हैं, लेकिन सरकार कीमतों में कटौती करना पसंद नहीं कर रही है और यह उभर रहा है कि यह भारी मुनाफा कमा रही है, अगर कच्चे तेल का अनुमान लीटर और रुपये के हिसाब से लगाया जाए तो 9 महीने में कच्चे तेल की कीमत पेट्रोल के बावजूद तेल 33 रुपये प्रति लीटर से ज्यादा नीचे आ जाना चाहिए और डीजल की कीमतों में कोई कच्चे तेल की कीमतों में भारी गिरावट कमी नहीं की गई है।
लीटर और रुपये के हिसाब से कच्चे तेल का अनुमान लगाया जाए तो 9 महीने में इसकी कीमत 33 रुपये प्रति लीटर से ज्यादा गिरनी चाहिए। इसके बाद भी देश में पेट्रोल और डीजल के दाम में कच्चे तेल की कीमतों में भारी गिरावट कोई कमी नहीं आई है. कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद से आपूर्ति अनिश्चितता कम होने का कारण है।
पेट्रोल-डीजल
जबकि मार्च में कच्चा तेल 140 डॉलर प्रति बैरल था, अप्रैल में खुदरा मुद्रास्फीति 7.79% के 8 साल के रिकॉर्ड उच्च स्तर पर थी। आरबीआई ने महंगाई कम करने के लिए मई से रेपो रेट घटाना शुरू किया था। इस हफ्ते नवंबर में महंगाई के आंकड़े आने पर यह 6 फीसदी पर रह सकता है। महंगे तेल का माल ढुलाई पर अधिक प्रभाव पड़ता है।
पेट्रोल और डीजल की स्थानीय कीमतें इन ईंधनों की अंतरराष्ट्रीय कीमतों पर निर्भर करती हैं। लेकिन अप्रैल के बाद से, घरेलू दरें स्थिर हो गई हैं, क्योंकि कंपनियां बाजार की कीमतों से नीचे ईंधन बेचती हैं और भारी नुकसान उठाती हैं। उपभोक्ताओं को वैश्विक कीमतों में गिरावट का लाभ देने से पहले घरेलू कंपनियां पहले अपने घाटे की भरपाई करेंगी।
ब्रेंट क्रूड की मौजूदा कीमत 76.10 डॉलर प्रति बैरल यानी 6,272.20 रुपये प्रति बैरल है। अगर आप इसे प्रति लीटर देखें तो 6,272 रुपये 159 लीटर होता है। यानी कीमत 39.45 रुपये प्रति लीटर हो गई है। मार्च में 140 लीटर प्रति बैरल या 11,538 रुपये प्रति बैरल बदलें तो यह 72.57 रुपये प्रति लीटर था। 9 महीने में ब्रेंट 33.12 रुपये प्रति लीटर सस्ता हो चुका है
पानी से सस्ता कच्चा तेल फिर 70 रुपये लीटर क्यों बिक रहा पेट्रोल?
सऊदी अरब, ईरान और रूस के बीच प्राइस वॉर की वजह से कच्चे तेल की कीमतों में जबरदस्त गिरावट आई है. पिछले सोमवार को ब्रेंट क्रूड के दाम गिर कर 31.13 डॉलर प्रति बैरल पर आ गए, जो इस साल की शुरुआत में 64 डॉलर प्रति बैरल थे. इस भारी गिरावट के बाद देश में पेट्रोल-डीजल की कीमतें अब भी काफी ज्यादा है. दिल्ली में पेट्रोल 70 रुपये और डीजल 62 रुपये प्रति लीटर से ज्यादा पर बिक रहा है.
मिनरल वॉटर से सस्ता हुआ क्रूड
कीमतों की तुलना करें तो क्रूड अब मिनरल वॉटर से भी सस्ता हो गया है. एक बैरल में 159 लीटर कच्चा तेल होता है. इस तरह एक लीटर कच्चे तेल की कीमत लगभग 13-14 रुपये पड़ेगी, जबकि एक लीटर के मिनरल वॉटर बोतल के लिए कम से कम 15 कच्चे तेल की कीमतों में भारी गिरावट से 20 रुपये देने पड़ते हैं.
पेट्रोलियम प्रोडक्ट के दाम बाजार से जुड़ने के बाद यह उम्मीद जताई जा रही थी कि जब-जब इंटरनेशनल मार्केट में क्रूड के दाम गिरेंगे तो इंडियन मार्केट में पेट्रोल-डीजल सस्ते हो जाएंगे. साल 2014 के आखिर से क्रूड के दाम इंटरनेशनल मार्केट में कई बार गिरे हैं . लेकिन पेट्रोल-डीजल की रिटेल कीमतों में इस गिरावट के हिसाब से कमी नहीं आई.
अब जबकि इस साल की शुरुआत की तुलना में इंटरनेशनल मार्केट में क्रूड के दाम लगभग आधे रह गए हैं तो आम कंज्यूमर उम्मीद लगा रहा है कि उसे पेट्रोल-डीजल आठ से दस रुपये सस्ता मिलेगा. कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में यह कयास लगाया जा रहा है लेकिन क्या ऐसा होगा?
तो क्या फिर महंगे होंगे पेट्रोल-डीजल?
अगर थोड़ा बारीकी से देखें तो ओपेक+ देशों ने जो 1 लाख बैरल कच्चे का उत्पादन करने की घोषणा की है, वह वैश्विक मांग का सिर्फ 0.1 फीसदी है. ऐसे में उम्मीद की जा रही है कि इस फैसले से कच्चे तेल की कीमतों में भारी गिरावट कच्चे तेल की कीमतों पर मामूली असर होगा. अगर दाम 100 डॉलर प्रति बैरल के करीब जाकर स्थिर हो जाते हैं, तो मुमकिन है कि डीजल-पेट्रोल के दाम ना बढ़ें. हालांकि, इससे सरकारी तेल कंपनियों पर दबाव जरूर बढ़ेगा. हालांकि, अप्रैल-जून के दौरान नुकसान के बावजूद दाम नहीं बढ़े थे. तो कीमतें शायद ही बढ़ें, लेकिन सरकार पर दबाव बढ़ेगा.
Indian Oil Corporation को अप्रैल-जून के बीच हर लीटर पेट्रोल पर 10 रुपये का नुकसान हुआ है, जबकि हर लीटर डीजल पर 14 रुपये का नुकसान झेलना पड़ा है. अप्रैल-जून तिमाही में कंपनी को 1992.53 करोड़ रुपये का नुकसान उठाना पड़ा है. अप्रैल-जून तिमाही में कच्चे तेल की कीमत औसतन 109 डॉलर प्रति बैरल रही है. वहीं रिटेल पंप के रेट्स करीब कच्चे तेल की कीमतों में भारी गिरावट 85-86 डॉलर प्रति बैरल के हिसाब से तय किए गए हैं और वही चले आ रहे हैं. कच्चा तेल महंगा होने के चलते इंडियन ऑयल का मार्जिन बहुत बुरी तरह से प्रभावित हुआ है और कंपनी को नुकसान झेलना पड़ा है.
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