RBI जल्द लॉन्च करेगा ई-रुपया, डिजिटल करेंसी पर जारी किया कॉन्सेप्ट नोट
नई दिल्ली: जल्द ही घरेलू करंसी अपने डिजिटल अवतार में लॉन्च हो सकती है. दरअसल रिजर्व बैंक ने आज जानकारी दी है कि वह ई-रुपया का पायलट लॉन्च करने की तैयारी में है. रिजर्व बैंक के मुताबिक इस पायलट प्रोजेक्ट में ई-रुपये का इस्तेमाल सिर्फ खास स्थितियों के लिए ही किया जाएगा.
इसके साथ ही रिजर्व बैंक ने सेंट्रल बैंक डिजिटल करंसी पर कॉन्सेप्ट नोट भी जारी कर दिया है. इस नोट का उद्देश्य डिजिटल करंसी को जानें डिजिटल करेंसी की 6 प्रमुख बातें लेकर और खास तौर पर डिजिटल रुपये की खासियतों को लेकर लोगों के बीच जागरुकता फैलाना है. जिससे आने वाले समय में डिजिटल करंसी का सही तरीके से इस्तेमाल सुनिश्चित किया जा सके.
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जल्द शुरू होगा पायलट लॉन्च
भारतीय रिजर्व बैंक ने शुक्रवार को कहा कि वह जल्द ही विशेष उपयोग के लिए ई-रुपये की पायलट आधार पर लॉन्च करेगा. केंद्रीय बैंक भारत में डिजिटल मुद्रा का परीक्षण कर रहा है.
आरबीआई ने ‘केंद्रीय बैंक डिजिटल मुद्रा’ (CBDC) के बारे में पेश अपने एक कॉन्सेप्ट नोट में कहा कि पायलट आधार पर इस तरह की पेशकश की सीमा और दायरे का विस्तार होने के साथ ही समय-समय पर ई-रुपये की विशिष्ट विशेषताओं और लाभों के बारे में जानकारी दी जाएगी.
इस संकल्पना टिप्पणी में डिजिटल मुद्रा की प्रौद्योगिकी और डिजाइन जानें डिजिटल करेंसी की 6 प्रमुख बातें विकल्प, डिजिटल रुपये के संभावित उपयोग, और डिजिटल मुद्रा को जारी करने की व्यवस्था जैसे प्रमुख मुद्दों पर भी चर्चा की गई है. इसमें सीबीडीसी की शुरूआत के चलते बैंकिंग प्रणाली, मौद्रिक नीति और वित्तीय स्थिरता पर पड़ने वाले प्रभावों की पड़ताल की गई है. साथ ही गोपनीयता के मुद्दों का विश्लेषण भी किया गया है.
Digital Currency पर आरबीआई ने बताई क्या हैं चुनौतियां, कहा-सतर्क रहने की जरूरत
Digital Currency News: कुछ साल पहले नकली मुद्रा को लेकर चिंता रहती थी. इस प्रकार की चीजें सीबीडीसी के मामले में हो सकती है.
सीबीडीसी मौजूदा कागजी मुद्रा का इलेक्ट्रॉनिक एडिशन होगा.
Digital Currency news: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के गवर्नर शक्तिकांत दास (Shaktikanta Das) ने बुधवार को कहा कि डिजिटल करेंसी के साथ साइबर सुरक्षा और डिजिटल धोखाधड़ी मुख्य चुनौतियां हैं. आरबीआई के केंद्रीय बैंक डिजिटल मुद्रा (CBDC) की तरफ कदम बढ़ाए जाने के साथ उन्होंने यह बात कही. पीटीआई की खबर के मुताबिक, मौद्रिक नीति समीक्षा के बाद कहा कि नई व्यवस्था के मामले में साइबर सुरक्षा और डिजिटल धोखाधड़ी मुख्य चुनौतियां हैं. हमें इसको लेकर सतर्क रहने की जरूरत है.
Digital Currency में भी नकली मुद्रा का है जोखिम
खबर के मुताबिक, उन्होंने कहा कि कुछ साल पहले नकली मुद्रा को लेकर चिंता रहती थी. इस प्रकार की चीजें सीबीडीसी के मामले में हो सकती है. इससे निपटने के लिए मजबूत सुरक्षा ढांचे के साथ दूसरे जरूरी उपाय करने की जरूरत होगी. डिप्टी गवर्नर टी रवि शंकर ने कहा कि दो प्रकार के सीबीडीसी (Central Bank Digital Currency) होंगे. पहला थोक और दूसरा खुदरा होगा. थोक डिजिटल मुद्रा (Digital Currency) के जानें डिजिटल करेंसी की 6 प्रमुख बातें मामले में काफी काम हुआ है, जबकि खुदरा मामला थोड़ा जटिल है और इसमें कुछ समय लगेगा.
सरकारी मुद्रा के रूप में सीबीडीसी पर काम जारी
आरबीआई ने इस साल की शुरुआत में घोषणा की थी कि उसने दुनिया के दूसरे प्रमुख केंद्रीय बैंकों के मुताबिक सरकारी मुद्रा के रूप में सीबीडीसी पर काम शुरू किया है. रिपोर्ट के मुताबिक, आरबीआई इस मामले में अगले साल की शुरुआत में पायलट कार्यक्रम शुरू करने पर विचार कर रहा है. शंकर ने साफ किया सीबीडीसी मौजूदा कागजी मुद्रा का इलेक्ट्रॉनिक एडिशन होगा. उन्होंने यह भी कहा कि इस मामले में डिजिटल धोखाधड़ी और साइबर जोखिम को लेकर बड़ी चुनौतियां हैं.
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उन्होंने कहा, थोक खाता आधारित मामले में काफी काम हुआ है. खुदरा मामला जटिल है और इसमें समय लगेगा. जो भी पहले तैयार होगा, उसे पायलट आधार पर जारी किया जाएगा. भारत सरकार ने हाल ही में भारत में सभी प्राइवेट क्रिप्टोकरेंसी को बंद करने की बात कही है.
डिजिटल मुद्रा से आरबीआई की कैश मैनेजमेंट की लागत होगी कम
आरबीआई ने 1 नवंबर से होलसेल सेगमेंट में डिजिटल रुपया लॉन्च करने के लिए एक पायलट परियोजना शुरू की है और बाद में एक महीने के भीतर रिटेल सेगमेंट में एक और प्रोजेक्ट लाने की योजना है.
नई दिल्ली, 6 नवंबर : आरबीआई ने 1 नवंबर से होलसेल सेगमेंट में डिजिटल रुपया लॉन्च करने के लिए एक पायलट परियोजना शुरू की है और बाद में एक महीने के भीतर रिटेल सेगमेंट में एक और प्रोजेक्ट लाने की योजना है. केंद्रीय बैंक डिजिटल मुद्रा (सीबीडीसी) को अपनाने के पीछे कई कारण हैं, जैसे वित्तीय समावेशन को बढ़ाना और कम नकदी वाली अर्थव्यवस्था की ओर बढ़ना.
माना जाता है कि डिजिटल रुपये की ओर बढ़ने का एक प्रमुख कारण भौतिक नकदी प्रबंधन से जुड़ी लागत को कम करना है. आरबीआई के एक कॉन्सेप्ट नोट में कहा गया है कि भारत में कैश मैनेजमेंट की लागत महत्वपूर्ण बनी हुई है. 1 अप्रैल, 2021 से 31 मार्च, 2022 के दौरान सुरक्षा मुद्रण पर किया गया कुल खर्च 4,984.80 करोड़ रुपये था, जो पिछले वर्ष (1 जुलाई, 2020 से 31 मार्च, 2021) 4,012.10 करोड़ रुपये के मुकाबले अधिक है. यह भी पढ़ें : मोदी निर्वाचन क्षेत्र आधारित संसदीय लोकतंत्र के आधार को कमजोर कर रहे: चिदंबरम
यह लागत, जिसमें पैसे की छपाई की पर्यावरणीय, सामाजिक और शासन (ईएसजी) लागत शामिल नहीं है, मुख्य रूप से चार स्टेकहॉल्डर्स आम जनता, व्यवसायों, बैंकों और आरबीआई द्वारा वहन किया जाता है. सीबीडीसी रुपए जारी करने वाले कार्य के समग्र मूल्य को प्रभावित करते हैं. यह मुद्रण, भंडारण, परिवहन, बैंक नोटों के प्रतिस्थापन आदि से जुड़ी लागतों से संबंधित ऑपरेशनल लागत को कम करता है.
आरबीआई के कॉन्सेप्ट नोट में कहा गया है, शुरूआत में, सीबीडीसी निर्माण या जारी करने की स्थिरता में महत्वपूर्ण निश्चित बुनियादी ढांचे की लागत हो सकती है, लेकिन बाद में मार्जिनल ऑपरेटिंग लागत बहुत कम होगी. फिजिकल करेंसी की तुलना में सीबीडीसी का उपयोग करते हुए जानें डिजिटल करेंसी की 6 प्रमुख बातें कैश मैनेजमेंट की लागत-प्रभावशीलता एक सकारात्मक संकेत देती है, जिसे पर्यावरण के अनुकूल भी माना जा सकता है. कॉन्सेप्ट नोट में आगे कहा गया, देश की उच्च नकदी आवश्यकता को पूरा करने के लिए, सीबीडीसी लागत को कम करेगा. इसके अलावा, भौगोलिक प्रसार को देखते हुए, जहां भौतिक नकदी उपलब्ध कराना एक चुनौती भरा काम है, ऐसे में सीबीडीसी से सहज लेनदेन की सुविधा की उम्मीद है.
सीबीडीसी की शुरूआत के पीछे एक और महत्वपूर्ण कारण कम नकदी वाली अर्थव्यवस्था को प्राप्त करने के लिए डिजिटलीकरण के उपयोग को आगे बढ़ाना है. सीबीडीसी महामारी कोविड-19 जैसी किसी भी अनिश्चित स्थिति में नकदी के बजाय केंद्रीय बैंक के पैसे रखने का एक पसंदीदा तरीका हो सकता है. इससे देश में डिजिटलीकरण की प्रक्रिया आगे बढ़ेगी सीबीडीसी सीमा पार से भुगतान में इनोवेशन को बढ़ावा दे सकता है, लेनदेन को तात्कालिक बना सकता है और टाइम जोन, एक्सचेंज रेट के अंतर के साथ-साथ सभी न्यायालयों में कानूनी और नियामक आवश्यकताओं से संबंधित प्रमुख चुनौतियों को दूर करने में मदद कर सकता है.
सीबीडीसी की इंटरऑपरेबिलिटी का मतलब है कि भुगतान प्रणाली के लिए एक एंकर के रूप में केंद्रीय बैंक के पैसे की भूमिका को मजबूत करते हुए क्रॉस-बॉर्डर और क्रॉस-करेंसी के खतरे को कम करना. इसलिए, सीमा पार से भुगतान में चुनौतियों को कम करने में सीबीडीसी का संभावित उपयोग एक बेहतर तकनीक है.
वित्तीय समावेशन जानें डिजिटल करेंसी की 6 प्रमुख बातें को बढ़ावा देने के लिए डिजिटल रुपया भी एक महत्वपूर्ण उपकरण हो सकता है. उपयुक्त डिजाइन विकल्पों के साथ, सीबीडीसी विभिन्न लेनदेन आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए जनता को डिजिटल मनी प्रदान कर सकता है. एक विकल्प के रूप में ऑफलाइन कार्यक्षमता सीबीडीसी को इंटरनेट के बिना लेन-देन करने की अनुमति देगी और इस प्रकार, खराब या बिना इंटरनेट कनेक्टिविटी वाले क्षेत्रों में पहुंच को सक्षम करेगी. साथ ही, उन लोगों तक पहुंच को सरल बनाएगी, जिन्हें ऋण की आवश्यकता है.
आरबीआई नोट में कहा गया है कि सीबीडीसी की यूनिवर्सल एक्सेस विशेषताएं, जानें डिजिटल करेंसी की 6 प्रमुख बातें जिसमें ऑफलाइन कार्यक्षमता, यूनिवर्सल एक्सेस डिवाइस का प्रावधान और कई डिवाइसों में संगतता शामिल है. यह लचीलापन, पहुंच और वित्तीय समावेशन के कारणों के लिए समग्र सीबीडीसी प्रणाली में सुधार करके गेम चेंजर साबित होगी.
सबसे महत्वपूर्ण बात, सीबीडीसी क्रिप्टो एसेट्स के प्रसार की स्थिति में आम आदमी के विश्वास की रक्षा कर सकता है. बढ़ते क्रिप्टो एसेट्स मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकवाद के फाइनेसिंग से संबंधित महत्वपूर्ण जोखिम पैदा कर सकता है. इसके अलावा, क्रिप्टो एसेट्स का उपयोग मौद्रिक नीति के उद्देश्यों के लिए खतरा हो सकता है, इसकी वजह यह है कि इससे समानांतर अर्थव्यवस्था का निर्माण हो सकता है और मौद्रिक नीति संचरण और घरेलू मुद्रा की स्थिरता को कमजोर कर सकता है. यह विदेशी मुद्रा विनियमों के प्रवर्तन को भी प्रतिकूल रूप से प्रभावित कर सकता है.
सीबीडीसी जनता को एक खतरे से मुक्त वर्जुअल करेंसी प्रदान कर सकता है जो उन्हें प्राइवेट वर्जुअल करेंसी में लेनदेन के जोखिम के बिना वैध लाभ प्रदान करेगी. इसलिए, यह जनता को असामान्य स्तर की अस्थिरता से बचाने के अलावा सुरक्षित डिजिटल मुद्रा की मांग को पूरा कर सकता है, जो इनमें से कुछ वर्जुअल डिजिटल संपत्ति का अनुभव है.
खुशशबरी: भारत की पहली डिजिटल करेंसी Digital Rupee आज से शुरू, जानिए कैसे करेगी काम
डिजिटल करेंसी भारत में हमेशा से ही चर्चा का विषय रही है। कारण है क्रिप्टोकरेंसी बिटकॉइन को लेकर सख्ती। लेकिन अब RBI की तरफ से डिजिटल करेंसी पेश की जा रही है। जाहिर है यह कदम भारत के कई सेक्टर्स को नई दिशा देगा। तो चलिए जानते है
Written By: Sachin Chaturvedi @sachinbakul
Updated on: November 01, 2022 12:30 IST
Photo:FILE Digital Rupee
Digital Rupee: लंबे इंतजार के बाद अब मंगलवार 1 नवंबर को भारत की पहली डिजिटल करेंसी की शुरुआत हो गई है। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने अपनी डिजिटल मुद्रा - ‘डिजिटल रुपया’ (Digital Rupee) का पहला पायलट परीक्षण मंगलवार यानी एक नवंबर से शुरू कर दिया है।
इस दौरान ग्राहक इस डिजिटल करेंसी का इस्तेमाल सरकारी सिक्योरिटी में लेनदेन के लिए कर सकते हैं। RBI ने सोमवार को बयान में कहा, ‘‘पायलट परीक्षण के तहत सरकारी प्रतिभूतियों में द्वितीयक बाजार लेनदेन का निपटान किया जाएगा।’’
ये बैंक होंगे शामिल
पायलट परीक्षण में भाग लेने के लिए भारतीय स्टेट बैंक (SBI), बैंक ऑफ बड़ौदा, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया, HDFC Bank, ICICI बैंक, कोटक महिंद्रा बैंक, यस बैंक, IDFC फर्स्ट बैंक और HSBC की पहचान की गई है। RBI ने यह भी कहा कि डिजिटल रुपये (खुदरा खंड) का पहला पायलट परीक्षण विशेष उपयोगकर्ता समूहों के बीच चुनिंदा स्थानों में किया जाएगा, जिसमें ग्राहक और कारोबारी शामिल हैं। इसकी शुरुआत एक महीने के भीतर करने की योजना है।
डिजिटल करेंसी क्या है??
डिजिटल करेंसी मुद्रा का ही एक रूप है जो केवल डिजिटल या इलेक्ट्रॉनिक रूप में ही उपलब्ध होती है। इसे डिजिटल मनी, इलेक्ट्रॉनिक मनी, इलेक्ट्रॉनिक करेंसी या साइबर कैश भी कहा जाता है।
डिजिटल करेंसी 3 प्रकार की होती है
1. क्रिप्टोकरेंसी:- यह डिजिटल करेंसी है जो नेटवर्क में लेनदेन को सुरक्षित करने के जानें डिजिटल करेंसी की 6 प्रमुख बातें लिए क्रिप्टोग्राफी का उपयोग करती है। इसपर किसी भी देश की सरकार का नियंत्रण नहीं होता है। बिटकॉइन और एथेरियम इसके उदाहरण हैं।
2. वर्चुअल करेंसी: वर्चुअल करेंसी डेवलपर्स या प्रक्रिया में शामिल विभिन्न हितधारकों से मिलकर एक संगठन द्वारा नियंत्रित अनियमित डिजिटल करेंसी है।
3. सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (CBDC): सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी किसी देश के सेंट्रल बैंक द्वारा जारी की जाती हैं। आरबीआई ने इस करेंसी को ही जारी करने की बात कही है।
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