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सही निवेश शिक्षा का चुनाव कैसे करें
हेमंत रस्तोगी, सीईओ , वाइज इन्वेस्ट एडवाइजर्स प्राईवेट लिमिटेड (CEO, Wiseinvest Advisors Pvt. Ltd)
पहली बार म्यूचुअल फंड में निवेश करने वाले निवेशकों को अधूरी जानकारी होती है और ज्यादातर वे निवेश की परिस्थितियों में आने वाली अनिश्चितताओं से प्रभावित हो जाते हैं। लेकिन म्यूचुअल फंड निवेश में बाजार के समय से भी अधिक महत्वपूर्ण बातें हैं जो ध्यान रखनी चाहिये।
सबसे पहले ध्यान रखे
एक महत्वाकांक्षी यूनिट धारक को सबसे पहले ये तय करना चाहिये कि वो किस तरह के पोर्टफोलियो (निवेश सूची) का निर्माण करना चाहता है। दूसरे शब्दों में उसे अपनी सम्पत्ति के सही विनियोजन का फैसला करना चाहिये।ये ऐसेट एलोकेशन (asset allocation) कहलाता है। ऐसेट एलोकेशन वो तरीका है जो ये निर्धारित करता है कि आप अपने पैसे को विभिन्न निवेशों में कैसे लगायें जिसमें सम्पत्ति के सभी वर्गों का उचित मिश्रण हो।
ऐसेट एलोकेशन के लोकप्रिय नियम कहते हैं कि निवेशक की जो भी उम्र हो,उसे अपने पोर्टफोलियो में अपनी उम्र जितना धन प्रतिशत रखना चाहिये। उदाहरण के लिये- यदि निवेशक की उम्र 25 साल है तो उसे अपने निवेश का 25% ऋण (debt instrument) में और शेष इक्विटी में लगाना चाहिये।
हालांकि वास्तविकता में, प्रत्येक व्यक्ति की विभिन्न परिस्थितियों और वित्तीय हालत के अनुसार अलग अलग निवेश आवंटन की जरूरत हो सकती है। ऐसेट एलोकेशन को समझने के लिये आपको विभिन्न कारको की भी जानकारी होनी चाहिये जैसे-आयु, व्यवसाय, आप पर निर्भर परिवार के सदस्यों की संख्या आदि। सामान्यतः जितने अधिक आप युवा हैं उतने ही जोखिम भरे निवेश आप रख सकते हैं जिनसे आपको बेहतर रिटर्न मिले।
सही फंड कैसे चुनें
सही फंड चुनने के लिये ध्यान रखें— कि सही फंड चुनने की कुंजी उनके निवेश सिद्धांत और रिटर्न देने की स्थिरता पर निर्भर करती है। आप सही फंड चुनें जो आपकी जरुरतों के लिये उपयुक्त हो, ये सुनिश्चित करने के लिये निम्न बातों पर विचार करें:
• अपने आर्थिक लक्ष्यों को निर्धारित करें।
• क्या आप अपनी सेवानिवृत्ति के लिये निवेश कर रहे हैं ?य़ा अपने बच्चे की शिक्षा के लिय ?, या फिर वर्तमान आमदनी के लिये ?
• अपनी समय सीमा पर विचार करें। क्या आपको तीन महिने के समय में पैसा चाहिये या फिर तीन साल में ? , जितना विस्तृत आपका समय होगा उतना ज्यादा जोखिम आप निवेश में उठाने के काबिल होंगे।
• आप जोखिम उठाने के बारे में क्या सोचते हैं ? क्या आप उच्च रिटर्न की संभावना के लिये शेयर बाजार के उतार चढाव को बर्दाश्त करने की स्थिति में हैं? आपको अपने स्वंय की जोखिम उठाने की क्षमता के बारे में अवश्य पता होना चाहिये,यह सही निवेश योजना को चुनने के लिये एक गाइड हो सकता है। याद रखें,संभावित रिटर्न की चिन्ता किये बिना यदि आप किसी विशेष परिसंपत्ति वर्ग के साथ सहज नही हैं तो आपको अन्य निवेश विकल्पों पर विचार करना चाहिये।
• ध्यान रखें-इन सभी कारकों का सीधा प्रभाव उन फंड पर पङता है जिन्हें आप चुनते हैं और जो रिटर्न आप प्राप्त करने की उम्मीद रखते हैं।
• विविध इक्विटी फंड
• इंडैक्स फंड
• अवसर फंड
• मिड कैप फंड
• इक्विटी लिंक्ड बचत योजनायें
• सेक्टर फंड जैसे ऑटो, हंल्थ केयर,एफएमसीजी,बैंकिंग,आई.टी इत्यादि
• संतुलित फंड उनके लिये जो इक्विटी निवेश में 100% जोखिम नही सही निवेश शिक्षा का चुनाव कैसे करें उठाना चाहते
(अगर सही ढंग से चुने जायें तो ये अन्य संपत्ति वर्गों की तुलना में बेहतर रिटर्न दे सकते हैं).
अगर आप जोखिम उठाने की हिम्मत के साथ एक लंबी अवधि के निवेशक हैं और मुद्रास्फीति को हराने के लिये रिटर्न की तलाश में हैं तो इक्विटी फंड सर्वोच्च चुनाव है। म्यूचुअल फंड विभिन्न प्रकार की इक्विटी और इक्विटी आधारित योजनाओं (देखें फंड कैन्डी) को पेश करता है। शुरूआत में विविध फंड के साथ निवेश करना उचित होगा और धीरे धीरे आप ऋण जोखिम के क्षेत्र और विशेष फंड में भी हाथ आजमा सकते हैं।
सिर्फ आवेदन फॉर्म भर देना और चेक लिखना ही काफी नही है। आपके निवेश कैसा प्रदर्शन कर रहे हैं , इस पर नजर रखना भी उतना ही जरूरी है। एक योग्य और पेशेवर निवेश सलाहकार जो आपको सही निर्णय लेने और आपके निवेशों के प्रदर्शन के मापने दोनों में सहायता कर सकता है। साथ ही आपको ये भी जानना चाहिये कि आप खुद की छोटी सी मदद निम्न स्त्रोतों के द्वारा कैसे कर सकते हैं।
फैक्ट शीट और न्यूजलैटर
म्यूचुअल फंड मासिक और त्रैमासिक फैक्ट शीट और न्यूजलैटर प्रकाशित करते हैं जिनमें पोर्टफोलियो की जानकारी ,फंड सही निवेश शिक्षा का चुनाव कैसे करें मैनेजर द्वारा प्रबंधित योजनाओं और उनके प्रदर्शन आंकङों की रिपोर्ट प्रकाशित होती है।
म्यूचुअल फंड की वेबसाइट प्रदर्शन आंकङे , दैनिक NAV (नेट ऐसेट वैल्यू) , फंड फैक्ट शीट , त्रैमासिक न्यूजलैटर और प्रेस क्लिपिंग इत्यादि उपलब्ध कराती है। इसके अलावा भारत में म्यूचुअल फंड एसोसियेशन( AMFI ) की वेबसाइट भी है जिसमें दैनिक और ऐतिहासिक NAV और अन्य योजनाओं के बारे में सूचना होती हैं।
समाचार पत्र के पृष्ठों में म्यूचुअल फंड योजनाओं की बिक्री , NAV और रिडेम्पशन मूल्य की जानकारी होती है। इसके अलावा अन्य आर्थिक विश्लेषण और रिपोर्ट भी होती हैं।
आपके लिये सही सूचना की जानकारी रखना बहुत महत्वपूर्ण है। इसे पाने के लिये आपको बस थोङा सा समय सूचना को समझने और विश्लेषण करने में खर्च करना होगा। जो आपके निवेश की सफलता की संभावना को बढाने के लिये जरूरी है। जितना समय आप धन कमाने में लगाते हैं अगर उसका एक प्रतिशत भी इस पर खर्च करें तो ये अच्छी शुरूआत होगी। इन सबसे ज्यादा एक पेशेवर सलाहकार की मदद सही फंड चुनने के लिये लें जिसमें SIP(सिस्टेमैटिक इन्वेस्ट प्लान),STP(सिस्टेमैटिक ट्रांसफर प्लान), और एकमुश्त निवेश का सही मिश्रण हो।
बच्चों के नाम पर PPF अकाउंट खुलवाने के हैं कई फायदे, ऐसे करें आवेदन
पब्लिक प्रोविडेंट फंड बचत के लिए बहुत ही अच्छी योजना है। इस स्कीम में पैसों की सुरक्षा और अच्छी ब्याज दर के साथ अच्छा मुनाफा भी मिलता है। इस योजना में निवेश की राशि और मिलने वाले ब्याज पर टैक्स की छूट भी दी गई है। अगर आप अपने बच्चे का भी पीपीएफ अकाउंट खुलवाना चाहते है अब ये आसानी के साथ खोला जा सकता है। किसी भी उम्र के बच्चे का पीपीएफ अकाउंट खोला जा सकता है। सही निवेश शिक्षा का चुनाव कैसे करें बच्चे के बड़े होने तक खाते में अभिभावक निवेश करेंगे। बच्चा 18 साल की आयु पूरी कर लेने के बाद खुद भी खाते में जमा कर सकता है। जब बच्चा खुद से बचत करके पैसे जमा करेगा तो वो पैसों की अहमियत भी समझेगा। इससे बच्चे के आने वाले भविष्य में पैसों की जरूरत को पूरा किया जा सकता है। अगर आप भी अपने बच्चे के लिए पीपीएफ अकाउंट खोलना चाहते है तो,आइए जानते है इसके विषय बारे में.
सही निवेश शिक्षा का चुनाव कैसे करें पीपीएफ अकाउंट कैसे है फायदेमंद
पीपीएफ में जो भी निवेश किया जाता है वो लंबे समय के लिए किया जाता है।
इसमें निवेश करने की समय सीमा 15 साल की होती है।
यदि अभिभावक बच्चे के शुरुआती समय में ही इस योजना को लेते है तो भविष्य में अच्छा रिटर्न मिलता है।
मान लीजिये की यदि बच्चा 3 वर्ष का है और बच्चे के नाम से 15 साल के लिए पीपीएफ अकाउंट खोला जाता है।
अब जब बच्चा 3+15 =18 साल का होगा तब इस पीपीएफ पर बहुत अच्छा रिटर्न मिलेगा। जो इसके पढाई लिखाई, अन्य जरूरतों में काम आ सकता है।
बढ़ सकती है पीपीएफ अकाउंट की समय सीमा
इस स्कीम सही निवेश शिक्षा का चुनाव कैसे करें में सबसे अच्छी बात यह है की निवेशक इसकी समय सीमा को बढ़ा सकते हैं। अगर आपने पांच साल के लिए पीपीएफ अकाउंट खुलवाया है तो और आप इसकी समय सीमा को बढ़ाना चाहते है तो ऐसा हो सकता है। अब निवेशक चाहे तो बढ़ी हुई समय सीमा में निवेश करना जारी रख सकते है। अगर निवेश नहीं करना चाहते तो भी आप समय सीमा को बढ़ा सकते है।
निवेशक को मिलेगी टैक्स में छूट
निवेशक इस योजना के तहत टैक्स में भी छूट मिलती है। इसमें निवेश करने पर 80C के तहत टैक्स की छूट मिल जाती है। इसमें जो ब्याज मिलता है और मैच्यूरिटी पर जो राशि मिलती है वो भी टैक्स फ्री होती है।
आवेदन कैसे करें
सबसे पहले आपको अपने नजदीकी बैंक या पोस्ट ऑफिस में जाना होगा।
इसके बाद आपको वहां जाकर पीपीएफ खाता खुलवाने का फॉर्म लेना है।
आवेदन पत्र में पूछी गई जानकारी को ध्यान से पढ़कर सही भरें।
आवेदन पत्र में आपसे कुछ दस्तावेज भी मांगे जाएंगे।
उन दस्तावेजों को भी आवेदन पत्र में संलग्न करके कर्मचारी को दे दीजिए।
इसके बाद कर्मचारी आवेदन की जांच करेगा ,जानकारी सही होने के बाद आपके बच्चे का खाता खुल जाएगा।
जरुरी दस्तावेज
बच्चे की उम्र का प्रमाण पत्र ( आधार कार्ड ,जन्मप्रमाण पत्र )
न्यूनतम और अधिकतम निवेश
पीपीएफ अकाउंट खुलवाने के लिए कम से कम पांच सौ सही निवेश शिक्षा का चुनाव कैसे करें रूपये से शुरुआत करके अधिकतम डेढ़ लाख रूपये तक जमा कर सकते हैं।
करियर का चुनाव करने से पहले कुंडली पर दें ध्यान, विद्या-यश पाने की राहें होंगी आसान
आज के दौर में सबसे बड़ी चुनौती है करियर का निर्माण। सही विषय के चयन में थोड़ी-सी भी चूक आपकी मंजिल को आपसे कोसों दूर ले जाती है इसलिए करियर के शुरूआती दिनों में ही कुंडली पर जरूर गौर करना चाहिए। कुंडली के द्वितीय व चतुर्थ भाव से शिक्षा का व पंचम भाव से बुद्धि व स्मरण शक्ति का विचार किया जाता है। दशम भाव से विद्या, यश का विचार किया जाता है। कम्पीटीशन टैस्ट में उत्तीर्ण होने अथवा न होने का विचार दशम स्थान से होता है। करियर निर्धारण में कुंडली के द्वितीय, चतुर्थ, पंचम, सप्तम व दशम भाव विचारणीय हैं।
यदि पंचम स्थान का स्वामी बुध हो और वह किसी शुभ ग्रह के साथ हो, यदि शुभ ग्रह दृष्ट हो, यदि बुध उच्च राशि में हो, यदि बुध पंचमस्थ हो, पंचमेश जिस नवांश में हो, उसका स्वामी केंद्रगत हो और शुभ ग्रह से दृष्ट हो इन योगों में से किसी भी योग के रहने से जातक समझदार, बुद्धिमान (इंटैलीजैंट) होता है। चतुर्थ भाव से सामान्य शिक्षा, नवम भाव से उच्च शिक्षा या तकनीकी क्षेत्र से संबंधित शिक्षा एवं एकादश (लाभ) भाव से शिक्षा प्राप्ति तथा शिक्षा में सफलता जानी जाती है।
दशम भाव से करियर का विचार किया जाता है यानी जातक को किस कर्म अथवा किस व्यापार द्वारा सफलता प्राप्त होगी इन सही निवेश शिक्षा का चुनाव कैसे करें सबका विचार दशम भाव से ही होता है। लग्र से जातक का शरीर, चंद्रमा से मन और सूर्य से आत्मा का विचार होता है। लग्र स्थान से सही निवेश शिक्षा का चुनाव कैसे करें दशम स्थान मनुष्य के शारीरिक परिश्रम द्वारा कार्य सम्पन्नता, चंद्रमा से दशम स्थान द्वारा जातक की मानसिक वृत्ति के अनुसार कार्य सम्पन्नता का एवं सूर्य से आत्मा की प्रबलता का ज्ञान होता है। लग्र और चंद्रमा में जो बली हो, उससे दशम भाव द्वारा कर्म और जातक के करियर का विचार किया जाता है। यदि चंद्रमा और लग्र इन दोनों में से दशम स्थान पर कोई ग्रह न हो तो सूर्य से, दशम स्थान में स्थित चंद्रमा से और सूर्य से दशम स्थान में कोई ग्रह न हो तो ऐसी स्थिति में दशम स्थान के स्वामी के नवांशपति से करियर का विचार किया जाता है। तीनों स्थानों से आजीविका का विचार किया जाता है। उन तीनों स्थानों में से जो बली हो उसके दशम स्थान में स्थित ग्रह से अथवा उसके दशमेश के नवांशपति के अनुसार जातक की मुख्य आजीविका होती है।
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क्या आपको लगता है कि बीमा लेना एक बार का काम है? फिर से सोचिए!
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- Date : 30/04/2018
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जैसे आपकी जरूरतें और वित्तीय लक्ष्यों में बदलाव आएगा, वैसे आपको अपने बीमा कवर की समीक्षा करनी होगी।
हम आपको बताते हैं कि क्यों बीमा खरीदना एक बार का ही काम नहीं है:
- महंगाई की वजह से बाजार परिस्थिति में बदलाव: चाहे आपके पास बीमा कवर है, लेकिन जरूरी नहीं कि ये आपके लिए पर्याप्त हो। जोखिम, कर्ज और वित्तीय लक्ष्यों के आधार पर एक व्यक्ति की बीमा जरूरतें बदलती रहती हैं। जीवन के अलग-अलग पड़ावों पर आपको अपने लक्ष्यों की समीक्षा करनी चाहिए और जीवन बीमा कवर का फिर से परिकलन करना चाहिए।
- महंगी होती उच्च शिक्षा: अच्छी शिक्षा के लिए काफी पैसे खर्च करने पड़ते हैं और इसमें समझौता भी नहीं किया जा सकता है। बीमा लेने से आप बच्चों की शिक्षा के लिए पूंजी जुटा सकते हैं (इसके लिए कम से कम 8 से 10 साल का समय होना चाहिए)। यूलिप का निवेश का भाग आपको हर महीने छोटी रकम बचाने में मदद करता है और यूलिप के जीवन बीमा कवर भाग से आप सुनिश्चित हो सकते हैं कि आपकी मृत्यु के बाद आपके बच्चे को एक मुश्त रकम मिलेगी जो उसकी शिक्षा के काम आएगी।
- महंगी होती स्वास्थ सेवाएं: शिक्षा के साथ ही स्वास्थ्य सेवाएं भी अहम और अपरिहार्य खर्चा है। समय-समय पर स्वास्थ्य बीमा सम अश्योर्ड की समीक्षा करते रहने से आप बढ़ते इलाज के खर्च से बचाव पा सकते हैं। साथ ही, गंभीर बीमारियां और विकलांगता के राइडर्स का चुनाव करके आप जोखिम कम कर सकते हैं।
- रिटायरमेंट की योजना बनाना मुश्किल है: जिंदगी अनिश्चितता भरी है। आपको रिटायरमेंट के बाद कितनी पूंजी की जरूरत पड़ेगी इसका सही-सही हिसाब लगाना मुश्किल है। चाहे हर कोई जल्द रिटायर होना चाहता है, लेकिन ये जोखिमभरा कदम है। ऐसा हो सकता है कि आप पूरी जिंदगी के लिए जरूरी पूंजी इकट्ठी न कर पाएं। वहीं, दूसरी ओर लंबी जिंदगी भी अपने आप में एक जोखिम है, क्योंकि आपको पता नहीं है कि कितने सालों के लिए आपको योजना बनानी है। वक्त-वक्त पर अपनी रिटायरमेंट योजना की समीक्षा करते रहें, ताकि आप ज्यादा से ज्यादा पूंजी जमा कर पाएं।
महंगाई, जीवनशैली, स्वास्थ्य और घर का खर्च जैसी बातों का आपकी वित्तीय सेहत पर असर पड़ता है। इसलिए आपको बीमा प्लान की समय-समय पर समीक्षा करनी चाहिए और अपनी जरूरतों का पुनर्मूल्यांकन करना चाहिए।
हम आपको बताते हैं कि क्यों बीमा खरीदना एक बार का ही काम नहीं है:
- महंगाई की वजह से बाजार परिस्थिति में बदलाव: चाहे आपके पास बीमा कवर है, लेकिन जरूरी नहीं कि ये आपके लिए पर्याप्त हो। जोखिम, कर्ज और वित्तीय लक्ष्यों के आधार पर एक व्यक्ति की बीमा जरूरतें बदलती रहती हैं। जीवन के अलग-अलग पड़ावों पर आपको अपने लक्ष्यों की समीक्षा करनी चाहिए और जीवन बीमा कवर का फिर से परिकलन करना चाहिए।
- महंगी होती उच्च शिक्षा: अच्छी शिक्षा के लिए काफी पैसे खर्च करने पड़ते हैं और इसमें समझौता भी नहीं किया जा सकता है। बीमा लेने से आप बच्चों की शिक्षा के लिए पूंजी जुटा सकते हैं (इसके लिए कम से कम 8 से 10 साल का समय होना चाहिए)। यूलिप का निवेश का भाग आपको हर महीने छोटी रकम बचाने में मदद करता है और यूलिप के जीवन बीमा कवर भाग से आप सुनिश्चित हो सकते हैं कि आपकी मृत्यु के बाद आपके बच्चे को एक मुश्त रकम मिलेगी जो उसकी शिक्षा के काम आएगी।
- महंगी होती स्वास्थ सेवाएं: शिक्षा के साथ ही स्वास्थ्य सेवाएं भी अहम और अपरिहार्य खर्चा है। समय-समय पर स्वास्थ्य बीमा सम अश्योर्ड की समीक्षा करते रहने से आप बढ़ते इलाज के खर्च से बचाव पा सकते हैं। साथ ही, गंभीर बीमारियां और विकलांगता के राइडर्स का चुनाव करके सही निवेश शिक्षा का चुनाव कैसे करें आप जोखिम कम कर सकते हैं।
- रिटायरमेंट की योजना बनाना मुश्किल है: जिंदगी अनिश्चितता भरी है। आपको रिटायरमेंट के बाद कितनी पूंजी की जरूरत पड़ेगी इसका सही-सही हिसाब लगाना मुश्किल है। चाहे हर कोई जल्द रिटायर होना चाहता है, लेकिन ये जोखिमभरा कदम है। ऐसा हो सकता है कि आप पूरी जिंदगी के लिए जरूरी पूंजी इकट्ठी न कर पाएं। वहीं, दूसरी ओर लंबी जिंदगी भी अपने आप में एक जोखिम है, क्योंकि आपको पता नहीं है कि कितने सालों के लिए आपको योजना बनानी है। वक्त-वक्त पर अपनी रिटायरमेंट योजना की समीक्षा करते रहें, ताकि आप ज्यादा से ज्यादा पूंजी जमा कर पाएं।
महंगाई, जीवनशैली, स्वास्थ्य और घर का खर्च जैसी बातों का आपकी वित्तीय सेहत पर असर पड़ता है। इसलिए आपको बीमा प्लान की समय-समय पर समीक्षा करनी चाहिए और अपनी जरूरतों का पुनर्मूल्यांकन करना चाहिए।
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