भारत से विदेशी शेयरों में निवेश करने के लिए 3 आसान तरीके

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वैश्वीकरण और क्रॉस बॉर्डर निवेश के उद्घाटन ने कंपनियों को किसी भी अर्थव्यवस्था में निवेश करने के लिए प्रावधानों की अनुमति दी है। एक भारतीय निवेशक के रूप में , आपके पास विदेशी शेयरों में खरीदने और अपने पोर्टफोलियो को विकसित करने और विदेशी बाजारों से उच्च रिटर्न प्राप्त करने के लिए स्मार्ट निवेश का उपयोग करने का विकल्प भी है। हालांकि , चलो पहले पता है कि विदेशी स्टॉक क्या हैं , के साथ शुरू करने के लिए।

विदेशी स्टॉक क्या हैं?

विदेशी कंपनियों के स्टॉक – या भारत से बाहर आधारित हैं – विदेशी स्टॉक के रूप में जाना जाता है। ये विशाल कंपनियां जो गैर – घरेलू हैं , घरेलू ब्लू – चिप कंपनियों के समान एक महान निवेश विकल्प के लिए बनाती हैं। जब कोई विदेशी शेयरों में निवेश करने का विकल्प चुनता है , तो वे अपने पोर्टफोलियो में जोखिम को संतुलित कर सकते हैं और विदेशी बाजारों में उपलब्ध आकर्षक अवसरों का लाभ उठा सकते हैं। यहां तीन तरीके हैं जो भारत में निवेशक विदेशी शेयरों में निवेश कर सकते हैं।

विदेशी टाई अप के साथ भारतीय फंड हाउस

विदेशी शेयरों में निवेश करने के लिए सबसे आसान तरीकों में से एक भारतीय निधि घरों के माध्यम से है। यह निवेशकों को विदेशी शेयरों तक पहुंचने की अनुमति देता है , जब विदेशी मुद्राओं में निवेश करने की बात आती है तो अनुमति मांगने या जोखिम लेने की परेशानी के बिना। इन अवसरों की पेशकश करने वाले भारतीय निधि घरों को खोजने के लिए , कोई “ इमर्जिंग मार्केट ” या “ यूरोप फोकस ” जैसे नामों की तलाश कर सकता है। इन नामों से पता चलता है कि इन म्यूचुअल फंड ने स्थानीय बाजार के माध्यम से विदेशी स्टॉक में निवेश किया है। भारत में खरीदे गए म्यूचुअल फंड के एनएवी को देखकर इन शेयरों का आंदोलन आसानी से किया जा सकता है।

विदेशी शेयर व्यापार के लिए एक और विकल्प फंड ( एफओएफ ) म्यूचुअल फंड के फंड पर विचार करना है। ये म्यूचुअल फंड अंतरराष्ट्रीय स्टॉक में इकाइयां खरीदते हैं। न केवल आप अंतरराष्ट्रीय बाजारों में देखे गए आर्थिक परिवर्तनों पर नज़र रख सकते हैं , बल्कि आपको भारतीय शेयर बाजार में अस्थिर प्रदर्शन के लिए भी तकिया मिल सकती है। इसलिए , फंड निवेश के फंड के माध्यम से विदेशी स्टॉक में निवेश करें जो इसके खिलाफ हेज की पेशकश करके सेन्सेक्स गिरने में आपकी मदद कर सकता है। वैश्विक कंपनियों के एक धसान ने बड़े मार्जिन से असाधारण रूप से साथियों क्या मैं डॉलर में निवेश कर सकता हूं से बेहतर प्रदर्शन किया है। उनकी सफलता में डाइविंग आसानी से एफओएफ के माध्यम से किया जा सकता है।

प्रत्यक्ष निवेश

विदेशी शेयर व्यापार के लिए थोड़ा और सीधा मार्ग है कि काफी अधिक निवेश की आवश्यकता है सीधे अंतरराष्ट्रीय धन में निवेश करने के लिए है। भारतीय रिजर्व बैंक ( भारतीय रिजर्व बैंक ) के अनुसार , भारतीय निवासियों के पास प्रति वर्ष प्रत्यक्ष विदेशी निवेश में 250,000 डॉलर की ऊपरी टोपी निवेश करने का विकल्प होता है , बिना किसी अनुमति के। यह भारतीय रिजर्व बैंक की लिबरलाइज्ड प्रेषण योजना ( एलआरएस ) का हिस्सा है।

यद्यपि किसी भी वर्ष में निवेश किए गए धन की कुल राशि पर वार्षिक टोपी होती है , अंतरराष्ट्रीय निधि के भीतर ही कोई सीमा नहीं होती है। आप आसानी से एक अंतरराष्ट्रीय दलाल के साथ एक ट्रेडिंग खाता खोल सकते हैं। आप संयुक्त राज्य अमेरिका से एक अंतरराष्ट्रीय दलाल के साथ एक खाता खोलने के लिए एक विदेशी मेलिंग पते ( अमेरिका में कम से कम ) की आवश्यकता नहीं है।

एक्सचेंजट्रेडेड फंड

विदेशी शेयर ट्रेडिंग क्या मैं डॉलर में निवेश कर सकता हूं के लिए तीसरा विकल्प एक्सचेंज – ट्रेडेड फंडों में निवेश करना है। औसत ईटीएफ की कीमतें पूरे दिन उतार – चढ़ाव करती हैं। यह पूरे दिन खरीदा और बेचा जाता है। यह म्यूचुअल फंड से अलग है – जो बाजार बंद होने के बाद प्रति दिन एक बार बेचे जाते हैं या खरीदे जाते हैं। आप अंतरराष्ट्रीय सूचकांक पर उपलब्ध एक्सचेंज – ट्रेडेड फंड खरीद सकते हैं जो अंतरराष्ट्रीय शेयरों की टोकरी में अपेक्षित जोखिम देता है। इन फंडों तक पहुंचने के लिए आपको विदेशी बाजारों में संपर्क करने की आवश्यकता नहीं है। भारतीय दलाल भी एक स्थानीय बाजार से सीधे निवेश विकल्प के रूप में एक्सचेंज – ट्रेडेड फंड प्रदान करते हैं।

यह सुनिश्चित करना याद रखें कि जिस ईटीएफ में आप निवेश करना चुनते हैं वह भारत के सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड के साथ पंजीकृत है। ईटीएफ में निवेश करके एक अपने प्रशिक्षण जोखिम को कम कर देता है , क्योंकि इन फंडों को बड़ी हद तक – बस एक सूचकांक के आंदोलन को दोहराना। इसके अतिरिक्त , ईटीएफ का व्यय अनुपात म्यूचुअल फंड की तुलना में काफी कम है। ईटीएफ में निवेश करने के लिए आपको एक भारतीय कंपनी या अंतरराष्ट्रीय कंपनी के साथ ब्रोकरेज खाते की आवश्यकता होगी। हालांकि , आपको इन फंडों तक पहुंच प्राप्त करने की आवश्यकता है।

अब जब आप विदेशी शेयर व्यापार तक पहुंचने के तीन अलग – अलग तरीकों से अवगत हैं , तो ऐसा करने के जोखिमों को संबोधित करना महत्वपूर्ण है। Foremostly, वहाँ मुद्रा विनिमय का खतरा है। भले ही आप अपने विदेशी शेयरों से लाभ कमाते हैं , रुपए की दर गिरने से आपकी विनिमय दर प्रभावित हो सकती है और आपके नुकसान का खतरा बढ़ सकता है।

अंतर्राष्ट्रीय ट्रेडिंग खाते भी भारतीय दलालों के साथ व्यापार की तुलना में खोलने के लिए बहुत अधिक महंगे हैं। औसत भारतीय दलाल की तुलना में मार्जिन मनी आवश्यकता वर्तमान में काफी अधिक है। इसके अतिरिक्त , ब्रोकरेज शुल्क स्वयं अधिक हैं। अमेरिका में यह व्यापार प्रति 0.75% से 0.9% है। इन जोखिमों से सावधान रहने से आपको विदेशी शेयरों में स्मार्ट निवेश विकल्प बनाने में मदद मिल सकती है।

घर बैठे विदेशी शेयर बाजारों में लगाएं पैसे, महज 1 डॉलर से कर सकते हैं शुरुआत!

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आज की तारीख में निवेशक अपने पोर्टफोलियो में विदेशी कंपनियों के स्टॉक को भी शामिल करते हैं. ग्लोबल मार्केट में निवेश करने से जहां आप अपने पोर्टफोलियो को डायवर्सिफाई कर सकते हैं. वहीं डायवर्सिफिकेशन के जरिए रिस्क को कम किया जा सकता है. जानकार मानते हैं कि इससे रिटर्न का संतुलन बना रहता है. (Photo: Getty Images)

जानकारी का अभाव

भारतीयों को विदेशी शेयरों में सीधे निवेश करने की अनुमति मिले अब करीब 17 साल हो चुके हैं. लेकिन अभी जानकारी के अभाव में लोग विदेशी शेयर बाजारों में पैसे लगा नहीं पाते हैं. हमारे देश में अधिकतर लोगों का ये सवाल होता है कि विदेशी शेयर क्या मैं डॉलर में निवेश कर सकता हूं बाजारों में कैसे पैसे लगा सकते हैं? (Photo: Getty Images)

बड़ी कंपनियों में निवेश

दरअसल आप घर बैठे गूगल, अमेजन, फेसबुक, टेस्ला और डॉमिनोज जैसे कई ब्लॉकबस्टर शेयरों में निवेश कर सकते हैं. इन कंपनियों का कारोबार दुनियाभर में है, और पिछले कुछ दशकों में इन कंपनियों ने निवेशकों को मालामाम कर दिया है. निवेश कई गुना बढ़ गया है. (Photo: Getty Images)

विदेशी मार्केट में पैसे लगाने के दो फायदे

अमेरिकी समेत कई विदेशी मार्केट में पैसे लगाने से मुख्यतौर पर दो फायदे हैं. एक तो जैसे-जैसे कंपनियों का कारोबार बढ़ेगा, निवेशकों का उसी हिसाब से रिटर्न बढ़ता जाएगा. उदाहरण के तौर पर साल 2004 में गूगल का आईपीओ आया था, उस समय आईपीओ की कीमत 85 डॉलर थी. आज गूगल का एक शेयर 2,450 डॉलर का है. यानी करीब 28 गुना इजाफा हुआ है. (Photo: Getty Images)

डॉलर मजबूत होने से फायदा

इसके अलावा दूसरा बड़ा फायदा यह है कि डॉलर के मुकाबले रुपये में गिरावट के कारण तो रिटर्न और भी ज्यादा शानदार हो जाता है. पिछले कुछ वर्षों में डॉलर के मुकाबले रुपया लगातार कमजोर हुआ है. फिलहाल एक डॉलर 74 रुपये के बराबर है. जबकि 2004 में एक डॉलर का भाव 46 रुपये था. यानी डॉलर मजबूत होने से रिटर्न और बढ़ जाता है.

शेयरों के भाव

लोगों के मन में एक बड़ा सवाल यह होता है कि विदेशी बड़ी कंपनियों के शेयर महंगे होते हैं. यह सच भी है. यूएस स्टॉक मार्केट में कुछ शेयर ऐसे हैं, जिनकी भारतीय रुपये में कीमत 1.5 से 2.5 लाख या इससे भी ज्यादा है. गूगल के एक शेयर की कीमत 181,000 रुपये है, जबकि अमेजन का एक शेयर 254,782 रुपये का है, वहीं फेसबुक का एक शेयर 26 हजार रुपये का है. (Photo: Getty Images)

हज 1 डॉलर से निवेश की शुरुआत

लेकिन अब आप विदेशी बाजारों महज 1 डॉलर से भी निवेश की शुरुआत कर सकते हैं. इसके लिए बहुत ज्यादा कैश की जरूरत नहीं है. ऐसे कुछ प्लेटफॉर्म हैं, जहां से आप फ्रैक्शनल इंवेस्टिंग की सुविधा का लाभ उठा सकते हें. फ्रैक्शनल इंवेस्टिंग एक ऐसा तरीका है, जिससे यह काम आसानी से हो सकता है. इसके अलावा कई म्यूचुअल फंड्स हैं, जो विदेशी बाजारों में निवेश करते हैं. जहां आप घर बैठे निवेश कर सकते हैं.

भारतीय बाजार में दम


हालांकि पिछले कुछ वर्षों में भारतीय शेयर बाजारों ने दूसरे विदेशी बाजारों की तुलना में अच्छा किया है. जिससे विदेशी निवेशकों से तेजी से भारत का रुख किया है. हालांकि कहीं भी पैसे लगाने से पहले अपने वित्तीय सलाह की मदद जरूर लें.

कितना कर सकते हैं निवेश

कितना कर सकते हैं निवेश
आरबीआई की लिबरलाइज्ड रेमिटेंस स्कीम (LRS) की गाइडलाइंस के मुताबिक कोई भारतीय विदेशी बाजारों में हर साल 2.50 लाख डॉलर तक निवेश कर सकता है. यह आरबीआई से अप्रूवल लिए बिना भी किया जा सकता है.

कैसे खुलेगा अकाउंट

कैसे खुलेगा अकाउंट
इन्वेस्टमेंट एडवाइजरी अकाउंट ओपनिंग की फ्री में सुविधा देते हैं. KYC प्रक्रिया पूरी करने के बाद कोई भी निवेशक ट्रेडिंग अकाउंट खुलवा सकता है. यह डीमैड अकाउंट की तरह होता है. अमेरिकी नियमों के अनुसार निवेशक को बर्थ सर्टिफिकेट, एड्रे प्रूफ और PAN कार्ड की स्कैन कॉपी लगानी जरूरी होती क्या मैं डॉलर में निवेश कर सकता हूं है.

घर बैठे लगाएं विदेशी बाजारों में पैसा, Apple-Tesla जैसे शेयर में सिर्फ 100-200 रुपए लगाकर करें शुरुआत

US Stocks: यूएस मार्केट में कुछ शेयर ऐसे हैं, जिनकी भारतीय रुपये में कीमत 1.5 से 2.5 लाख या इससे भी ज्यादा है. अगर आप इन शेयरों में हिस्सेदार बनना चाहते हैं तो टेंशन ना लें, फ्रैक्शनल इन्वेस्टिंग एक है.

US Stocks: यूएस मार्केट में कुछ शेयर ऐसे हैं, जिनकी भारतीय रुपये में कीमत 1.5 से 2.5 लाख या इससे भी ज्यादा है. अगर आप इन शेयरों में हिस्सेदार बनना चाहते हैं तो टेंशन ना लें, फ्रैक्शनल इन्वेस्टिंग एक है.

Invest in Us Stocks: शेयर में पैसे लगाने की बात कहें तो आमतौर पर हम किसी कंपनी के कुछ स्टॉक खरीदते हैं. स्टॉक की संख्या 10, 20 या कुछ भी हो सकती है. बहुत महंगे शेयर हर तरह के निवेशक नहीं खरीदते हैं. घरेलू बाजार की बात करें तो एक तरीका यह हो सकता है कि ​हम सीधे शेयर खरीदने की बजाए ऐसे म्यूचुअल फंड में पैसे लगाएं, जिसने उस स्टॉक में निवेश किया हो. लेकिन अगर हम एप्पल, गूगल, अमेजॉन और टेस्ला जैसे महंगे विदेशी शेयरों की बात करें तो इसका क्या तरीका है. यूएस स्टॉक मार्केट में कुछ शेयर ऐसे हैं, जिनकी भारतीय रुपये में कीमत 1.5 से 2.5 लाख या इससे भी ज्यादा है. अगर आप भी इन शेयरों में हिस्सेदार बनना चाहते हैं तो टेंशन ना लें, फ्रैक्शनल इन्वेस्टिंग एक ऐसा तरीका है, जिससे यह काम आसानी से हो सकता है.

कुछ महंगे विदेशी शेयरों की रुपये में कीमत

गूगल: 1.76 लाख रुपये (2408 डॉलर)

फेसबुक: 24090 रुपये (330 डॉलर)

अमेजॉन: 2.40 लाख रुपये (3281 डॉलर)

टेस्ला: 43750 रुपये (599 डॉलर)

एप्पल: 9271 रुपये (127 डॉलर)

इन्वेस्टमेंट प्लेटफॉर्म पर सुविधा

मौजूदा समय में कई आनलाइल एडवाइजरी और इन्वेस्टमेंट प्लेटफार्म पर फ्रैक्शनल इन्वेस्टिंग की सुविधा दी जा रही है. इसमें 1 शेयर से कम भी आप खरीद सकते हैं. ये प्लेटफॉर्म निवेशकों को यह सुविधा देते हैं कि वे कम से कम 1 डॉलर से विदेशी शेयरों में निवेश की शुरूआत कर सकते हैं. जितना निवेश होगा, कीमत की रेश्यो में शेयर का उतना हिस्सा निवेशक के पोर्टफोलियो में जुड़ जाएगा.

यहां इसे ऐसे समझ सकते हैं कि मान लीजिए किसी शेयर का भाव 200 डॉलर और आपने उसमें 10 डॉलर निवेश किया है. तो शेयर का 0.05 फीसदी हिस्से के आप मालिक बन जाएंगे. इसी तरह से मान लिया कि आप एप्पल का शेयर में मौजूदा समय में 2 डॉलर निवेश करना चाहते हैं. ऐसे में आपको 0.015 हिस्सा मिल जाएगा. एप्पल का शेयर अभी 127 डॉलर का है.

कितना कर सकते हैं निवेश

आरबीआई की 'लिबरलाइज्ड रेमिटेंस स्कीम' (LRS) की गाइडलाइंस के मुताबिक कोई इंडिया का निवासी विदेशी बाजारों में हर साल 2.50 लाख डॉलर यानी 1.82 करोड़ रुपये तक निवेश कर सकता है. यह आरबीआई से अप्रूवल लिए बिना भी किया जा सकता है. इन्वेस्टमेंट एडवाइजरी अकाउंट ओपनिंग की फ्री में सुविधा देते हैं. KYC प्रक्रिया पूरी करने के बाद कोई भी निवेशक ट्रेडिंग अकाउंट खुलवा सकता है. अमेरिकी नियमों के अनुसार निवेशक को बर्थ सर्टिफिकेट, एड्रे प्रूफ और PAN कार्ड की स्कैन कॉपी लगानी जरूरी होती है.

आप भी खरीद सकते हैं विदेश में प्रॉपर्टी और बड़ी कंपनियों के शेयर, ऐसे बनाएं योजना, जानें जरूरी शर्तें

अमेरिका जैसे डेवलप मार्केट आपको विभिन्न इंडस्ट्री और रियल इस्टेट सेक्टर में निवेश का मौका देते हैं.

अमेरिका जैसे डेवलप मार्केट आपको विभिन्न इंडस्ट्री और रियल इस्टेट सेक्टर में निवेश का मौका देते हैं.

Investment in Foreign property and shares: अगर आप भी विदेश कंपनियों के शेयर्स में निवेश करना चाहते हैं या कर रहे हैं तो . अधिक पढ़ें

  • News18Hindi
  • Last Updated : September 23, 2022, 12:34 IST

हाइलाइट्स

इंटरनेशनल म्यूचुअल फंड और एक्सचेंज ट्रेडेड फंड रिटेल इन्वेस्टर को निवेश का मौका दे रहे हैं.
कोई भी भारतीय LRS के तहत विदेशों में ढाई लाख डॉलर तक का इन्वेस्टमेंट कर सकता है.
आप भी एप्पल, गूगल जैसी बड़ी कंपनियों के शेयर और विदेशों में प्रॉपर्टी खरीद सकते हैं.

नई दिल्ली. अगर आप अपने इन्वेस्टमेंट पोर्टफोलियो में और विविधता लाना चाहते हैं तो भारत के साथ-साथ अन्य देशों के स्टॉक्स, म्युचूअल फंड और प्रॉपर्टी में भी निवेश कर सकते हैं. एक फाइनेंशियल ईयर में कोई भी भारतीय लिबेरलाइज्ड रेमिटेंस स्कीम के तहत विदेशों में ढाई लाख डॉलर तक का इन्वेस्टमेंट कर सकता है. हाई नेट वर्थ (बेहद धनवान लोग) इंडिविजुअल बड़े पैमाने पर विदेशों में निवेश के विकल्प खोजते हैं और इन्वेस्ट करते हैं. हालांकि इंटरनेशनल म्यूचुअल फंड और एक्सचेंज ट्रेडेड फंड रिटेल इन्वेस्टर को भी ऐप्पल इंक या मेटा (फेसबुक) जैसी प्रसिद्ध वैश्विक कंपनियों में निवेश करने का मौक दे रही है.

अगर आप भी विदेश कंपनियों के शेयर्स में निवेश करना चाहते हैं या कर रहे हैं तो होमवर्क करें और कंपनी द्वारा बुनियादी जानकारी, वित्तीय और वैधानिक फाइलिंग का अध्ययन करना चाहिए. कई प्लेटफ़ॉर्म पर इस बारे में निःशुल्क जानकारी मिलती है, वहां से आप मदद ले सकते हैं. अगर आपके पास इस बारे में स्टडी करने का समय नहीं है तो म्युचूअल फंड के जरिए निवेश कर सकते हैं, साथ ही एचएनआई इन्वेस्टर्स के पसंदीदा रियल इस्टेट सेक्टर में इन्वेस्ट कर सकते हैं.

आइये जानते हैं विदेशों में निवेश करने की वजह और कैसे व कहां इन्वेस्ट करें…

क्या मैं विदेशी स्टॉक एक्सचेंज के शेयर खरीद सकता हूं?

अमेरिका जैसे डेवलप मार्केट आपको विभिन्न इंडस्ट्री में टेक्नोलॉजी की मदद से निवेश का मौका देते हैं. आप यहां की विभिन्न कंपनियों के शेयर खरीद सकते हैं. उदाहरण के लिए, सर्च इंजन, सेमी-कंडक्टर और इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स जैसे सेक्टर के स्टॉक्स में निवेश कर सकते हैं. इनमें गूगल, फेसबुक, एप्पल और टेस्ला जैसी नामी कंपनिया शामिल हैं. आप विदेशी स्टॉक एक्सचेंज में लिस्टेड शेयरों के अंश खरीद सकते हैं. आप म्युचुअल फंड योजनाओं की यूनिट भी खरीद सकते हैं, जो कि ज्यादा सुलभ और सस्ते होते हैं.

मैं विदेश में निवेश करना चाहता हूं लेकिन क्या खरीदूं. मेरे लिए क्या विकल्प बेहतर है?

विदेशों में इन्वेस्टमेंट को लेकर कई ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म पर इस बारे में जरूरी जानकारी मिलती है. आप यहां उपलब्ध आंकड़ों का अध्ययन करके शेयर खरीदी को लेकर सोच-समझकर निर्णय ले सकते हैं. इसके अलावा आप सीधे म्युचूअल फंड में भी निवेश कर सकते हैं. कुछ भारतीय फंड विदेशी शेयर में भी निवेश का अवसर देते हैं.

मैं विदेश में कितना पैसा निवेश कर सकता हूं?

एक फाइनेंशियल ईयर में कोई भी भारतीय लिबेरलाइज्ड रेमिटेंस स्कीम के क्या मैं डॉलर में निवेश कर सकता हूं तहत विदेशों में ढाई लाख डॉलर तक का इन्वेस्टमेंट कर सकता है. हालांकि विदेशों में निवेश के लिए कोई न्यूनतम राशि नहीं है, लेकिन आपके ट्रेड को लेकर ब्रोकर द्वारा निर्धारित विशिष्ट आवश्यकताएं या शर्ते हो सकती हैं.

विदेशों में निवेश से होने वाली कमाई पर टैक्स कितना लगेगा?

भारतीय नागरिकों को विदेशी संपत्ति क्या मैं डॉलर में निवेश कर सकता हूं के माध्यम से अर्जित आय पर भी कर का भुगतान करना पड़ता है जो उनके पास अन्य देशों में है. यह भारत में उनकी कुल आय का हिस्सा बनेगा. इसमें ऐसी संपत्तियों की बिक्री से होने वाला लाभ भी शामिल है. इस तरह के करदाताओं को इनकम टैक्स डिपार्टमेंट को विदेशों में अपनी प्रॉपर्टी और अन्य निवेश से होने वाले लाभ की जानकारी देनी होती है. इन संपत्तियों और निवेश से होने वाली आय पर टैक्स आयकर विभाग की मौजूदा शर्तों के हिसाब से लगता है.

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