- क्या सुचेता दलाल धूम्रपान करती हैं ?: अनजान
- क्या सुचेता दलाल शराब पीती हैं ?: अनजान
- सुचेता ने कर्नाटक कॉलेज से सांख्यिकी में बीए किया और फिर बॉम्बे विश्वविद्यालय से एलएलबी और एलएलएम दलाल कौन बन सकता है? किया।
- उन्होंने अपने करियर की शुरुआत 1984 में एक निवेश पत्रिका: फॉर्च्यून इंडिया से की थी।
- 1990 के दशक की शुरुआत में, उन्होंने टाइम्स ऑफ इंडिया के मुंबई सर्कुलेशन में बिजनेस और इकोनॉमिक्स विंग के लिए एक पत्रकार के रूप में काम करना शुरू किया।
- एक पत्रकार के रूप में काम करने से उनके लिए अवसरों का एक बड़ा द्वार खुला और वह टाइम्स ऑफ इंडिया की वित्तीय संपादक बन गईं।
- उन्होंने कई प्रसिद्ध व्यावसायिक पत्रिकाओं: बिजनेस स्टैंडर्ड और द इकोनॉमिक टाइम्स के साथ भी काम किया है।
- सुचेता अपने निजी जीवन को गुप्त रखना पसंद करती है और दलाल कौन बन सकता है? इसलिए उसने इसे मीडिया के लिए कभी नहीं खोला, सिवाय इसके कि उसकी शादी एक लेखक देबाशीष बसु से हुई है।
- उनकी विशेष रूप से पूंजी बाजार, उपभोक्ता मुद्दों, बुनियादी ढांचा क्षेत्र और निवेशक से संबंधित मुद्दों पर लिखने और लिखने में गहरी रुचि है।
- सुचेता के काम को तब प्रसिद्धि मिली जब उन्होंने 1992 में सुरक्षा घोटाले को कवर किया, जिसे भारतीय इतिहास के सबसे बड़े वित्तीय घोटालों में से एक माना जाता है।
- उन्होंने अपने पति देबाशीष के साथ 1993 में “द स्कैम: हू वोन, हू लॉस्ट, हू गॉट अवे” नामक स्टॉक घोटाले के बारे में एक किताब लिखी, जो जनता के बीच सनसनी बन गई।
- मार्च 2000 में, उन्होंने भारत के एक प्रख्यात उद्योगपति, बैंकर और अर्थशास्त्री एडी श्रॉफ की आत्मकथा लिखी जिसका शीर्षक था “एडी श्रॉफ: टाइटन ऑफ फाइनेंस एंड फ्री एंटरप्राइज”।
- 2006 में, उन्होंने अपने पति द्वारा शुरू की गई द्वि-साप्ताहिक निवेश पत्रिका मनीलाइफ के लिए अपनी रुचियों को लेखन में बदल दिया।
- सुचेता को डॉ एपीजे अब्दुल दलाल कौन बन सकता है? कलाम द्वारा 2006 में पत्रकारिता के लिए प्रतिष्ठित पद्म श्री से सम्मानित किया गया था।
- 2008 तक, उन्होंने द इंडियन एक्सप्रेस ग्रुप के लिए एक स्तंभकार और परामर्श संपादक के रूप में काम किया।
- सुचेता अब मनीलाइफ पत्रिका की प्रधान संपादक हैं।
- उसने अपने पति के साथ, मुंबई में मनीलाइफ फाउंडेशन की स्थापना की, जो एक गैर-लाभकारी संगठन है जो भारत में खराब वित्तीय शिक्षा को उजागर करता है।
- वह हमेशा विभिन्न उपयोगी विषयों पर लोगों के बीच जागरूकता बढ़ाने के लिए सेमिनार और चर्चा करते हैं। यहां एक वीडियो है जहां सुचेता दलाल इस बारे में बात करती है कि क्रेडिट कार्ड उपयोगकर्ता और बैंकर के जीवन को कैसे प्रभावित करता है:
युवा पत्रकारों पर समाज के ठेकेदार दलाल व तथाकथित पत्रकार लगाते हैं आरोप ।
युवा पत्रकारों पर समाज के ठेकेदार दलाल व तथाकथित पत्रकार लगाते हैं आरोप । उमेश दुबे (रिपोर्टर ) भदोही । पुराने समाज के ठेकेदार दलाल व तथाकथित पत्रकार नई पीढ़ी के पत्रकारों को नहीं देना चाहते हैं आगे बढ़ना. बहुत बड़ी विडंबना है कि कुछ तथाकथित पत्रकारों को यह लगने लगा है कि समाज में
युवा पत्रकारों पर समाज के ठेकेदार दलाल व तथाकथित पत्रकार लगाते हैं आरोप ।
उमेश दुबे (रिपोर्टर )
भदोही । पुराने समाज के ठेकेदार दलाल व तथाकथित पत्रकार नई पीढ़ी के पत्रकारों को नहीं देना चाहते हैं आगे बढ़ना. बहुत बड़ी विडंबना है कि कुछ तथाकथित पत्रकारों को यह लगने लगा है कि समाज में सब एक साथ उनके उम्र के ही लोग जवान हो जाते है सब एक साथ पत्रकारिता का कार्य करने के लिए तैयार भी हो जाते हैं और जो पहले आकर दलाल कौन बन सकता है? जवान हो जाता है वही बुढ़ापे तक का समाज में ठेकेदार बन जाता है मतलब नई युवा पीढ़ी अगर किसी कार्य को करने के लिए समाज में आगे आए तो उनकी संख्या को इजाफा के तौर पर देखा जाने लगता है. लेकिन शायद उन्हें यह नहीं पता कि उनसे जादे पढ़ लिखकर युवा नई तकनीक के साथ उनसे जादे बेहतर कार्य पत्रकारिता में ही नहीं बल्कि किसी भी क्षेत्र में करने के लिए जज्बा लिए आते. पहले वाले तथाकथित समाज के ठेकेदारों को अब कि नए युवा पीढ़ी के पत्रकारों से द्वेष भावना जागृत होना एक स्वाभाविक प्रक्रिया है जिसमें पुराने समाज के तथाकथित पत्रकारों व ठेकेदारों का ब्लॉक से लेकर जिले तक की सारी मट्ठाधिशी समाप्त हो जाती है. जो कुछ भी अवैध तरीके से कार्य उनके द्वारा किए जाते हैं वह भी खुल के सामने आने लगता है ऐसी स्थिति में नए शिक्षा और तकनीक लिए आए पत्रकारों को रास्ते से हटाने का हर हथकंडा अपनाने की कोशिश और शिकायत थाने पुलिस से लेकर जिले के अधिकारियों तक से तथाकथित पत्रकार व समाज के ठेकेदार के द्वारा की जानी लगती है. अब आरोप लगाना उन तथाकथित पत्रकारों दलालों और समाज के ठेकेदारों से बेहतर कौन जान सकता है. चुकी वे खुद पहले अपने समाज में उसी कार्य को करके
तथाकथित पत्रकार और समाज के ठेकेदार बने है. वैसे सभी सरकारी अधिकारी इन बातों को अच्छी तरह जानते समझते भी है लेकिन वे खुद पत्रकारों के चोले में लिपटे इलाके के दबंगई गुंडई करने वाले समाज के ठेकेदारों से घिरे महसूस करते हैं इस वजह से वे चाह कर भी कुछ नहीं कर पाते. नई युवा पीढ़ी जब इन बातों को समझते हुए इन तथाकथित पत्रकारों समाज के दलालों को रोकने का प्रयास करती है तो उनके ऊपर घृणित शब्दों का प्रहार सोशल मीडिया के माध्यम से किया जाने लगता है. लेकिन उन्हें शायद यह नहीं पता होता कि युवा पत्रकार उनकी तरह आठवीं 10वी 12वी फेल नहीं बल्कि उच्च और उचित शिक्षा प्राप्त कर समाज के विकृतियो कुरीतियों को सुधारने के लिए मोर्चा संभाले हुए हैं. तथाकथित पत्रकारों दलालों समाज के ठेकेदारों की तरह 80 रुपए की शीशी पीकर दिनभर बेवड़े की तरह दलाली मक्कारी का कार्य नहीं करते. लेकिन फिर भी यह 10वीं फेल समाज के ठेकेदार पत्रकारिता जगत में हर थाने चौकी पर वसूली के लिए मोहरा तलाशते नजर आ जाएंगे जहां युवा पत्रकारों को देखते ही इनकी भवे लाल पिली होने लगती है. उनको यह लगने लगता है कि पिछले दो तीन सालों में पत्रकारों की संख्या में काफी इजाफा हुआ है। नए पत्रकार पैदा हुए हैं.
युवा पत्रकारों पर क्या लगता है आरोप ।
अब पुराने समाज के ठेकेदार समाज के दलाल युवा पत्रकारों पर कई तरह के संगीन आरोप लगाने से नहीं हीचकते. आरोप सुनकर हैरान हो जाएंगे जैसे दो चार साल वाले पत्रकार का चोला ओढ़कर गुंडा दबंग और लाइसेंस प्राप्त दलाल बन गए हैं। जिला से लेकर तहसील तक और एसपी कार्यालय से लेकर थाने और चौकियों तक ऐसे कथित पत्रकार मंडराते दिख जाएंगे। विभिन्न सरकारी कार्यालयों से यह लोग हर काम कराने का ठेका भी लेते हैं ग्राम प्रधान कोटेदार पेट्रोल पंप कबाड़ी आदि तक धमकी देकर वसूली हो रही है पत्रकार के रूप में अपराधिक प्रवृत्ति के लोग अड्डा जमा चुके हैं आदि। ऐसे समाज के ठेकेदार समाज में अफवाह फैलाते हैं कि आज जिले के प्रतिष्ठित अखबार व चैनल में काम करने वाले शांत हैं और पत्रकार के रूप में गुंडे लोगों का शोषण कर रहे हैं। प्रशासन चुप है क्योंकि समाज को गंदा करने वाले कुछ गुंडे पत्रकारिता का चोला धारण कर चुके है। यही अपराधी तत्व यदि कुछ बड़ी घटना को अंजाम दिए तो क्या होगा । ऐसे ही कुछ आपराधिक छवि के लोग यदि पत्रकार के चोले में आकर किसी को धमकी देकर अवैध वसूली करते हैं तो पहले इनको गिराकर लतियाईए फिर मुकदमा दर्ज कराए ।
लेकिन 80 रुपए की शीशी पीने वाले अपने को पुराने बताने वाले तथाकथित पत्रकार समाज के दलाल और समाज के ठेकेदार यह नहीं जानते कि दसवीं बारहवी फेल करके घर की जेवर जमीन जायदाद बेचकर माइक आईडी और आईडी कार्ड खरीद कर कोई पत्रकार नहीं बना है. बल्कि उच्च शिक्षा नई तकनीक का ज्ञान लेकर पत्रकारिता जगत में अपनी पहचान के साथ समाज की कुरीतियों को दूर करने नौजवान आया है ।
राजधानी के थानों पर दलालों का शिकंजा थानों में दलाली रोकने को लेकर सीसीटीवी लगे, सीसीटीवी जांच हो तो कई थाना के पुलिस चढ़ेंगे आलाअधिकारीयों के रडार पर
पटना :- बिहार में सुशासन बाबू की सरकार है तो पड़ोसी राज्य उत्तरप्रदेश में बुलडोजर बाबा की पर दोनों राज्य में पुलिस-प्रशासन के कार्य करने के तरीके बिल्कुल ही अलग है। योगी राज्य में पुलिस माफियाओं/हत्यारों/भ्रष्टाचारियों व दलालों पर कहर बरसाती है। वही नीतीश राज्य में पुलिस-पिपूल फ्रेंडली के बजाय पुलिस-दलाल फ्रेंडली के लिए ज्यादा जानी जाती हैं। हालांकि बहुत ऐसे पुलिस अधिकारी इमानदार और कर्मठ हैं जिसके जज्बे को सभी सलाम करते हैं। बिहार की जनता जानती है कि थाना के किसी भी मामला में बिना नजराना दिए आपका छोटा से छोटा कार्य नहीं हो सकता। अधिकतर थाना दलाल फ्रेंडली जो है। इस घृणित भ्रष्टाचार को रोकने के लिए हीं बिहार के सभी थानाओं में सीसीटीवी कैमरे लगाए गए पर कोई फायदा नहीं हुआ क्योंकि आलाअधिकारी(आईपीएस) सीसीटीवी फुटेज देखते ही नहीं, अगर समय-समय पर सीसीटीवी जांच की जाती तो पता चलता कि रोजाना ड्यूटी के तरह पुलिस के अलावा कौन-कौन दलाल थाना को अपने गैरकानूनी तरीके से कमाई का जरिया बना रखा है। जब इसकी जांच नहीं होती है तो ऐसा प्रतीत होता है थाने को अपनी गिरफ्त में लेने वाला दलाल किसी माध्यम से नजराना आल्हा अधिकारी को भी भेजवा देता हो। वैसे भी सभी जानते हैं, पैसा नीचे से ऊपर तक जाता है। कहीं कम तो कहीं ज्यादा, ऐसा बिहार के हर विभाग में कर्मचारी/अधिकारी मिलेंगे, जो पूर्ण भ्रष्टाचारी हैं, आपसे कोई बहुत मीठे बोल कर या सख्ती से किसी न किसी तरह से आपको अपना निशाना बना हीं के छोड़ेंगे। उनकी यह लत जो वर्षों से लगी हुई है। यह बिहार की जनता के लिए सबसे बड़ी त्रासदी है।
उदाहरण के तौर पर राजधानी पटना को हीं ले लिजिए। कई थानों में से एक पाटलिपुत्रा थाना जिसके खासमखास बने दलाल मुकेश तिवारी जो दिन-रात थाने की कुर्सी को अपनी जागीर समझता है। जबकी पहले भी वह शराब पीने दलाल कौन बन सकता है? के मामलों जेल की हवा खा चुका है, गुंडा रजिस्टर में उसका नाम भी दर्ज है इसलिए थोड़ा एक्सपीरियंस होल्डर है, वह कई मामलों में खुलेआम थाने आए पीड़ित/जरूरतमंदों को अपने हिसाब से कोई कार्य कराता है। क्षेत्र के लोगों में भी अच्छी पकड़ है क्योंकि वह थाना में ही बैठता है। प्रायः ऐसे लोगों से स्थानीय मीडिया भी दूरी ही बनाए रखती है। जबकी अंदर ही अंदर पत्रकार खून की घूंट पीकर रह जाते हैं। कुछ निर्भिक पत्रकार अगर इसकी खबर बना भी दिये तो उसे हत्या/गाली-गलौज/पिटाई करवा देना या किसी केस में फंसवा देना मामूली बात है। आलाअधिकारीयों को ऐसे पुलिस कर्मचारी और मिले हुए अधिकारीयों की जांच कर सख्त से सख्त कार्रवाई करना चाहिए। ऐसे लोग वर्षों से समाज के दीमक बने हुए हैं, अंग्रेज देश छोड़ गए पर बिहार में इनकी हुकूमत आज भी ज़र्रे ज़र्रे में है। कड़े परिश्रम से पढ़ाई कर आईएएस/आईपीएस/अधिकारी/कर्मचारी तो बन जाते हैं पर कुछ ही लोग दिलों में राज करते हैं वैसे आलाअधिकारीयों को न सरकार झुका पाती है न वक्त।
कुछ इस तरह पहली बार मिले थे वरुण धवन-नताशा दलाल, जानें पूरी लव स्टोरी
नताशा एक फैशन डिज़ाइनर हैं जिन्होंने अमेरिका के नयूयॉर्क से फैशन की पढ़ाई की है। अब नताशा भारत में ही प्रैक्टिस कर रही हैं और एक जानी मानी डिज़ाइनर हैं। नताशा मुंबई में ही अपनी फॅमिली के साथ रहती हैं।
कुछ इस तरह पहली बार मिले थे वरुण धवन-नताशा दलाल, जानें पूरी लव स्टोरी
पहली फिल्म 'स्टूडेंट ऑफ दि ईयर' से लाखों लड़कियों के दिलों की धड़कन बनने के बाद अब 'कलंक' तक का सफर एक्टर वरुण धवन के लिए काफी खास रहा है। बॉलीवुड में वरुण एक के बाद एक फिल्में करके अपने फैंस के दिलों पर राज करने की पूरी कोशिश कर रहे हैं। लेकिन उनके दिल पर जो राज करती है, आजकल उसकी चर्चा जोरों पर है।
जी हां, अब तक वरुण धवन और उनके गर्लफ्रेंड नताशा दलाल के बीच रिश्ता होने के मीडिया की ओर से केवल कयास ही लगाए जा रहे थे, लेकिन अब वरुण धवन के पापा और डायरेक्टर डेविड धवन ने इन सभी अटकलों से पर्दा उठा दिया है। डेविड धवन ने वरुण और नताशा की वेडिंग डेट का राज खोल दिया है। उनके मुताबिक दोनों अगले साल यानी 2020 में शादी के बधन में बंध सकते हैं।
वरुण धवन, नताशा दलाल लव स्टोरी
कुछ समय पहले ही मुकेश अम्बानी के बेटे आकाश अम्बानी की शादी में नताशा दलाल को वरुण धवन के पेरेंट्स के साथ देखा गया। वेडिंग फंक्शन में नताशा ने वरुण धवन के साथ ही एंट्री ली थी। दोनों ने मीडिया के सामने कई तस्वीरें भी क्लिक कराई थीं। इसके बाद वरुण धवन ने अपने इन्स्टाग्राम अकाउंट पर एक तस्वीर अपलोड की जिसमें नताशा उनके पेरेंट्स के साथ कड़ी हैं। वरुण ने लिखा - 'मेरे पेरेंट्स ने मुझे छोड़ अब किसी और को गोद ले लिया है'।
वरुण का दिया हुआ यह फोटो कैप्शन साफ दर्शाता है कि नताशा अब केवल गर्लफ्रेंड ना होकर, जल्द ही फॅमिली मेम्बर बन सकती हैं। दोनों अब हमेशा के लिए एक दूसरे संग बंधने का विचार बना चुके हैं। इस सब पर डेविड धवन का भी रिश्ते को मंजूरी देना और यह कहना कि हम वरुण और नताशा की जोड़ी से खुश हैं, यह तो वरुण धवन के फैंस के लिए और भी बड़ी खुशखबरी है।
मगर यह सारा किस्सा कहाँ से शुरू हुआ? आखिर नताशा दलाल कौन हैं? नताशा पहली बार वरुण से कब, कहाँ और कैसे मिली? क्या ये पहली नजर का प्यार था या वक्त के साथ गहरा हुआ? इन सभी सवालों का जवाब वरुण और नताशा की लव स्टोरी में छिपा है। तो आइए डिटेल में जानते हैं इन लव बर्ड्स की प्यार भरी कहानी।
कौन हैं नताशा दलाल?
नताशा एक फैशन डिज़ाइनर हैं जिन्होंने अमेरिका के नयूयॉर्क से फैशन की पढ़ाई की है। अब नताशा भारत में ही प्रैक्टिस कर रही हैं और एक जानी मानी डिज़ाइनर हैं। नताशा मुंबई में ही अपनी फॅमिली के साथ रहती हैं।
पहली बार वरुण और नताशा कहाँ, कैसे मिले?
वरुण और नताशा बचपन के दोस्त हैं। जी हां, आपने सही पढ़ा। ये दोनों बचपन से ही एक दूसरे को जानते थे,। मगर इनकी लव स्टोरी काफी बड़े होने परा शुरू हुई।
म्यूजिक कॉन्सर्ट से हुई प्यार की शुरुआत
एक अंग्रेजी वेबसाइट के मुताबिक सालों बाद वरुण और नताशा जब एक दूसरे को एक म्यूजिक कॉन्सर्ट पर मिले तो दोनों एक दूसरे के लिए इंटरेस्टेड दिखाई दिए,। दोनों कोए क दूसरे से बात करना, वक्त बिताना अच्छा लगा। और इसी के बाद मिलने जुलने का सिलसिला शुरू हुआ।
सालों तक छिपाया प्यार
म्यूजिक कॉन्सर्ट में मिलना, फिर मुलाकातों को बढ़ाया और आखिरकार प्यार हुआ, इस पूरी कहानी के चलने के दौरान वरुण फिल्मों में एंट्री ले चुके थे। लेकिन कभी भी मीडिया के सामने अपनी लव लाइफ या नताशा का जिक्र नहीं किया।
लेकिन मीडिया की नजरों से कोई बच कैसे सकता है। कई बार दोनों को एक साथ पब्लिक प्लेस पर स्पॉट किया गया। कभी रेस्टोरेंट के बाहर तो कभी किसी दोस्त की पार्टी में। लेकिन हर बार वरुण ने नताशा को 'जस्ट फ्रेंड' बताते हुए ही सवालों को दरकिनार किया।
लेकिन बीते समय से हर फॅमिली और दोस्तों से जुड़े इवेंट्स में वरुण नताशा साथ दिखाई दे रहे हैं। दोनों सोशल मीडिया पर एक दूसरे के पोस्ट पर प्यार भरे कमेंट करते हुई भी देखे जाते हैं। इससे साफ होता है कि अब वक्त करीब है जब वरुण के फैंस भी उन्हें दूल्हा बनते हुए देखेंगे!
Sucheta Dalal (Journalist) उम्र, Biography, पति, बच्चे, परिवार, Facts in Hindi
- क्या सुचेता दलाल धूम्रपान करती हैं ?: अनजान
- क्या सुचेता दलाल शराब पीती हैं ?: अनजान
- सुचेता ने कर्नाटक कॉलेज से सांख्यिकी में बीए किया और फिर बॉम्बे विश्वविद्यालय से एलएलबी और एलएलएम किया।
- उन्होंने अपने करियर की शुरुआत 1984 में एक निवेश पत्रिका: फॉर्च्यून इंडिया से की थी।
- 1990 के दशक की शुरुआत में, उन्होंने टाइम्स ऑफ इंडिया के मुंबई सर्कुलेशन में बिजनेस और इकोनॉमिक्स विंग के लिए एक पत्रकार के रूप में काम करना शुरू किया।
- एक पत्रकार के रूप में काम करने से उनके लिए अवसरों का एक बड़ा द्वार खुला और वह टाइम्स ऑफ इंडिया की वित्तीय संपादक बन गईं।
- उन्होंने कई प्रसिद्ध व्यावसायिक पत्रिकाओं: बिजनेस स्टैंडर्ड और द इकोनॉमिक टाइम्स के साथ भी काम किया है।
- सुचेता अपने निजी जीवन को गुप्त रखना पसंद करती है और इसलिए उसने इसे मीडिया के लिए कभी नहीं खोला, सिवाय इसके कि उसकी शादी एक लेखक देबाशीष बसु से हुई है।
- उनकी विशेष रूप से पूंजी बाजार, उपभोक्ता मुद्दों, बुनियादी ढांचा क्षेत्र और निवेशक से संबंधित मुद्दों पर लिखने और लिखने में गहरी रुचि है।
- सुचेता के काम को तब प्रसिद्धि मिली जब उन्होंने 1992 में सुरक्षा घोटाले को कवर किया, जिसे भारतीय इतिहास के सबसे बड़े वित्तीय घोटालों में से एक माना जाता है।
- उन्होंने अपने पति देबाशीष के साथ 1993 में “द स्कैम: हू वोन, हू लॉस्ट, हू गॉट अवे” नामक स्टॉक घोटाले के बारे में एक किताब लिखी, जो जनता के बीच सनसनी बन गई।
- मार्च 2000 में, उन्होंने भारत के एक प्रख्यात उद्योगपति, बैंकर और अर्थशास्त्री एडी श्रॉफ की आत्मकथा लिखी जिसका शीर्षक था “एडी श्रॉफ: टाइटन ऑफ फाइनेंस एंड फ्री एंटरप्राइज”।
- 2006 में, उन्होंने अपने पति द्वारा शुरू की गई द्वि-साप्ताहिक निवेश पत्रिका मनीलाइफ के लिए अपनी रुचियों को लेखन में बदल दिया।
- सुचेता को डॉ एपीजे अब्दुल कलाम द्वारा 2006 में पत्रकारिता के लिए प्रतिष्ठित पद्म श्री से सम्मानित किया गया था।
- 2008 तक, उन्होंने द इंडियन एक्सप्रेस ग्रुप के लिए एक स्तंभकार और परामर्श संपादक के रूप में काम किया।
- सुचेता अब मनीलाइफ पत्रिका की प्रधान संपादक हैं।
- उसने अपने पति के साथ, मुंबई में मनीलाइफ फाउंडेशन की स्थापना की, जो एक गैर-लाभकारी संगठन है जो भारत में खराब वित्तीय शिक्षा को उजागर करता है।
- वह हमेशा विभिन्न उपयोगी विषयों पर लोगों के बीच जागरूकता बढ़ाने के लिए सेमिनार और चर्चा करते हैं। यहां एक वीडियो है जहां सुचेता दलाल इस बारे में बात करती है कि क्रेडिट कार्ड उपयोगकर्ता और बैंकर के जीवन को कैसे प्रभावित करता है:
- वह 1992 के हर्षद मेहता घोटाला, एनरॉन घोटाला, भारतीय औद्योगिक विकास बैंक घोटाला, केतन पारेख घोटाले में पाए गए विभिन्न जांच मामलों पर अपने अविश्वसनीय रूप से उत्कृष्ट कार्य के लिए व्यापक रूप से जानी जाती हैं।
- पत्रकारिता के अलावा, वह मनीलाइफ स्मार्ट सेवर्स नेटवर्क चलाते हैं, जिसका लक्ष्य व्यक्तिगत निवेशकों को निवेश में बेहतर और अधिक प्रतिभाशाली बनने के लिए शिक्षित करना है।
- यह लोगों को एक क्रेडिट हेल्पलाइन के माध्यम से म्यूचुअल फंड, निवेश, बीमा क्षतिपूर्ति तंत्र और अन्य वित्तीय समस्याओं से संबंधित कठिनाइयों में भी मदद करता है।
- उन्हें हर्षद मेहता घोटाले पर उनके काम के लिए फेमिना वुमन ऑफ सब्सटेंस अवार्ड और पत्रकारिता में उनकी श्रेष्ठता के लिए मीडिया फाउंडेशन द्वारा आयोजित चमेली देवी पुरस्कार भी मिला।
- उनकी स्थापित फाउंडेशन मनीलाइफ फाउंडेशन को प्रतिष्ठित 10वें एमआर पाई मेमोरियल अवार्ड से सम्मानित किया गया।
हरियाणा के मंत्री का सवाल-कौन सी दवाई खाते हैं राहुल जो उन्हें ठंड नहीं लगती
108 दिनों से टी शर्ट में भारत जोड़ो यात्रा में चल रहे हैं राहुल
Update: Friday, December 23, 2022 @ 1:03 PM
कांग्रेस नेता राहुल गांधी भारत जोड़ो यात्रा (Bharat Jodo Yatra) पर हैं। यात्रा इन दिनों हरियाणा (Haryana) में हैं। सियासत तो राहुल की यात्रा को लेकर रोज होती है। आज हरियाणा के कृषि मंत्री जेपी दलाल (Haryana Agriculture Minister JP Dalal) दलाल कौन बन सकता है? ने राहुल गांधी की हाफ टी शर्ट (Rahul Gandhi’s half T-shirt) को लेकर सवाल पूछा है। चूंकि,ठंड में भी राहुल पिछले 107 दिनों से हाफ टी शर्ट में ही चल रहे हैं। दलाल ने पूछा है कि (Winter Season) सर्दी के मौसम में राहुल ऐसी कौन सी दवाई (Medicine) खाते हैं,जो उन्हें ठंड नहीं लगती।
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अगर ये फार्मूला हमारे सैनिकों को जो हिमालय पर रहते हैं,मिल जाए तो देश के प्रति उनका बड़ा योगदान होगा। दलाल ने कहा कि मैने देखा की राहुल खुद तो हाफ टी शर्ट में होते हैं,बाकि सभी गर्म कपड़ों में रहते हैं। क्योंकि वह अकेले ऐसे नेता हैं जो ठिठुरन भरी सर्दी में भी हाफ बाजू टी शर्ट में रहते हैं,तो जरूर उनके पास कोई फार्मूला होगा। वहीं,इसका जवाब देते हुए जयराम रमेश (Jairam Ramesh) ने कहा है कि राहुल गांधी की (Skin is Thick) स्किन थिक है,इसलिए उन्हें ठंड नहीं लगती है। याद रहे कि कन्याकुमारी (Kanyakumari) से शुरू हुई यात्रा को 108 दिन हो चुके हैं,तब से राहुल गांधी सफेद रंग की टी शर्ट (White T-shirt) में ही चल रहे हैं।
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